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अपनी प्यारी हिन्दी

मनीषा जोशी
खोपोली (महाराष्ट्र)
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हिन्दी भाषा आन है अपनी
हिन्दी भाषा शान है अपनी।

हिन्दी भाषा रत्न है अपनी।
यह उत्सव है,जश्न हैअपनी।

गागर में सागर यह भरती।
चमत्कार शब्दों से करती।

दादी,नानी के क़िस्सों में बसती।
माँ की हर लोरी में सजती।

खुशबू बनकर महक रही है।
सूरज बनकर चमक रही है।

सुंदर सरल अनोखी हिन्दी।
है संस्कृत की बेटी हिन्दी।

भारत की पहचान है हिंदी।
हम सबका अभियान है हिन्दी।

हिंदी अपनी और बढ़ेगी।
दुनिया का सिरमौर बनेगी।

अ से अज्ञानी तक चलती ।
ज्ञ से ज्ञानी तक ले जाती।

जीवन की परिभाषा हिंदी।
हम सब की अभिलाषा हिंदी।

परिचय : मनीषा जोशी
निवासी : खोपोली (महाराष्ट्र)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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