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तुम गए

रचयिता : शशांक शेखर

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तुम गए सुबह और दिन गए और हम

ओस बन कर घास पर बिछ गए और हम

आसमान से टपकते रहे आँसू बनकर और हम

आज भी बारिश की बूँदे छतरी से टकराती हैं

गीत कोई तुम्हारे नाम की गाती हैं और हम

भागते हैं यहाँ से वहाँ तुम्हारी तलाश में और हम

सायों को पकड़ते हैं जैसे चिढ़ा कर हमें

तुम चुप गयी हो कहीं ओट में और हम

उँगलियाँ शाम की थामे हुए पुकारते हैं तुम्हें

मासूम का चेहरा तुम्हारा आवाज़ देता है हमें

और दूर से धड़कन अपनी आप ही सुनते हैं और हम

 

लेखक परिचय :– आपका नाम शशांक शेखर है आप ग्राम लहुरी कौड़िया ज़िला सिवान बिहार के निवासी हैं आपकी रुचि कविताएँ आलेख पढ़ने और लिखने में है।

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