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तूम प्रीत की बारिश करना

अशोक पटेल “आशु”
धमतरी (छत्तीसगढ़)
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तूम प्रीत की बारिश करना
बरखा के सावन की तरह
मैं आकुल हूँ बस तेरे लिए
प्यासा समंदर की तरह।

तुम मेरी चाँद बन जाना
निशा में पूनम की तरह।
मैं बस तुझे निहारा करूँ
आतुर चकोर की तरह।

तुम मेरी बहार बन जाना
महकते फूलों की तरह।
मैं बस यह गुनगुनाता रहूँ
बावरा भ्रमरों की तरह।

तुम मेरी साया बन जाना
मेरे हमसफ़र की तरह।
मैं हरदम तेरे साथ रहूँ
फूलों में खुशबु की तरह।

तुम मेरी बरखा बन जाना
सावन में बूंदों की तरह।
ये तन मन भी भीग जाए
प्यासा धरती की तरह।

तुम मेरी धड़कन बन जाना
मेरे सीने में दिल की तरह।
ये जीवन मधुमय हो जाए
वसन्त के बहारों की तरह।

परिचय :अशोक पटेल “आशु”
निवासी : मेघा-धमतरी (छत्तीसगढ़)
सम्प्रति : हिंदी- व्याख्याता
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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