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तू क्या जाने भगवान!

भारत भूषण पाठक देवांश
धौनी (झारखंड)

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विधा – करुण रस

तू क्या जाने भगवान!
रात भर हर दिन ही
खटमल-मच्छर के बीच
सुख से सोना क्या होता है।
तू क्या जाने भगवान !
हर दिन ठण्ड से ठिठुरना,
कैसा हमका लगता है !
तू क्या जाने भगवान!
जि-कर मरना, मरकर जीना
कितना मुश्किल होता है!
रात भर दर्द में रहकर
सुबह सब अच्छा ही है,
कहना, कैसे? संभव होता है !
तू क्या जाने भगवान !
बेघर होकर दर-दर भटकना,
हम किस तरह कर पाते हैं,
अो बादलों के आलीशान !
महलों में हमेशा रहने वाले,
जीवन-मृत्यु ,खेलने वाले !
आओ एक बार फिर तुम
इस धरती पर बनकर के
तुम भी वो अबला नारी,
कुचली जाती मसली जाती
कभी जो और जिसकी इच्छाएं।
बन कर आओ वो पिता एकबार।
जो अपने जवान बेटी को कंधा,
जिसे कभी देना होता है।
कारण तुम्हारी बनायी इस…
धरती पर जो एक न एक
राक्षस हरदम पलता है।
बनकर बहुत आ लिए संहारक तुम,
बस केवल एक बार शिकार
हम जैसे बन तुम दिखलाओ।
खुद ही को जज समझ बस,
केवल बस एकबार ही सही।
उस तड़पती मानवता का
न्याय तुम सही करके दिखलाओ।
मानाकि तुम हो भगवान कहलाते।
कहलाते होगा सृष्टि चक्र के
नियंता भी केवल बस केवल तुम!
पर, एक बार ही सही वो
बाप बन के दिखलाओ तुम!
जो सरहद पर शहीद हुए
अपने बच्चों को अन्तिम बार को..
केवल ही चूम पाता है जो,
सुन ओ भगवान तब तुम,
भगवान कहला तुम लेना।
जब तुम ये सब एहसास…
कर लोगे, दो पल को ही सही।
अपनों के लिए जी-मर लोगे।
कहता है ये देवांश तुमसे आज !
तुम भगवान कहलाना ही छोड़ दोगे।
खुद को भगवान जो कहते हो
तो एक बार ही सही राक्षसों को,
अपनी धरा से फिर मिटा जाओ।

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परिचय :- भारत भूषण पाठक देवांश
लेखनी नाम – तुच्छ कवि ‘भारत ‘
निवासी – ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका (झारखंड)
कार्यक्षेत्र – आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता – बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास – साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में।

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