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तू सब कुछ जानता है

मनीषा शर्मा
इंदौर म.प्र.

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कहते हैं तू सब कुछ जानता है।
पर क्या मेरे मन की पहचानता है।।

कहते हैं तु सब जगह साथ साथ है।
तो क्या तू मेरे भी आस-पास है ।।

कहते हैं तुझे तो सबकी ही फिक्र है।
पर क्या तेरे यहां मेरे दर्द का भी जिक्र है।।

कहते हैं सब कुछ तेरी मर्जी से होता है।
यह तो बता अच्छा इंसान ही क्यों रोता है।।

कहते है तू ही तो बेसहारो का सहारा है।
तो क्या मेरी कश्ती का भी तू किनारा है।।

इन सब सवालों का जवाब सिर्फ आस है।
जैसा भी है जो भी है मुझे तुझ पर पूरा विश्वास है।।

परिचय :-  मनीषा शर्मा
जन्म : २८/८/१९८२
शिक्षा : बी.कॉम., एम. ऐ.
लेखन शुरुआत वर्ष : लेखन में रुचि बचपन से है
लेखन विधा : कविता ,व्यंग्य ,कहानी समसामयिक लेखन।
व्यवसाय : आकाशवाणी केंद्र इंदौर उद्घोषक
निवासी : इंदौर म.प्र.
घोषणा पत्र : प्रमाणित किया जाता है कि रचना पूर्णतः मौलिक है।


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