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तेरा एक बार संवरना बाकी है

होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा
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जीवन में संवारती आई हो तुम,
चेहरा तेरा लगता जैसे शाकी है,
बहुत बार संवार चुकी हो प्रिय,
तेरा एक बार संवरना बाकी है।

पैदा हुई जब परिवार ने संवारा,
रूप तेरा हर जन को था प्यारा,
तेरा एक बार संवरना बाकी है,
कह रहा है पागल दिल हमारा।

बड़ी हुई तब बच्ची कहलाई थी,
पोशाक नई-नई कई मंगवाई थी,
बचपन में जब तुम संवरती रहती,
दिल में तुम बहुत ही इतराई थी।

मेहमान जब कभी घर में आते,
नई-नई पोशाक चुनकर के लाते,
पहनाकर तुम्हें बेहतर से कपड़े,
परियों की कई कहानियां सुनाते।

सजने संवरने का क्रम यूं चला,
मां बाप का मिलता रहा दुलार,
पहन पोशाक रंग बिरंगी तन पे,
भाग दौड़ की नहीं मानी है हार।

युवा अवस्था में जब रखा है पैर,
नहीं जमाने में तब युवा की खैर,
सभी अपने ही तुम्हें लगते रहे हैं,
माना ना तुमने कभी कोई भी गैर।

शादी के दिन जब आये थे तुम्हारे,
क्या रूप जवानी का अंगड़ाई लेता,
सजी धजी थी लाल वस्त्रों में जब,
हर कोई लंबी उम्र की दुहाई देता।

सुहाग के जोड़े में संवरी थी जब,
टप-टप आंसू गिर रहे थे मां बाप,
क्या अजब दोनों की जोड़ी लगती,
खुशियों और गम का नहीं था नाप।

फिर तो बैरी बुढ़ापा दे रहा दस्तक,
झुर्रियां पड़ गई थी पूरे ही मस्तक,
पोशाक और वस्त्र अच्छे नहीं लगे,
मौत का भय लगता दे रहा दस्तक।

मौत आएगी अजब-बड़ी सुहानी,
अब ये मौत तुम्हारी ही बाकी है,
बहुत सजाएंगे जब अर्थी निकले,
यूं तेरा एक बार संवरना बाकी है।

वो तेरा एक बार संवरना बाकी है,
हर जन को अंतिम बार सजाते हैं,
कितने नेत्र तुम्हें देखते मिल जाये,
बस गम का दरिया सभी बहाते हैं।।

परिचय :- होशियार सिंह यादव
जन्म : कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा
पिता : स्व. श्री जयनारायण (कवि) एवं गोपालक देहांत १९८९
मां : स्व. मिश्री देवी गृहणि देहांत २०१६
निवासी : महेंद्रगढ़ हरियाणा
शिक्षा : पीएच. डी. (जारी) एम. एससी (बायो एवं आईटी), एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी एवं राजनीति शास्त्र), एमसीए, एम. एड., पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर, पी जी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एवं मास कम्यूनिकेशन, पी जी डिप्लोमा इन गांधियन स्टडिज, गोल्ड मेडलिस्ट पंजाब वि.वि.।
रचनाएं : अब तक विभिन्न विषयों पर २४ पुस्तकें प्रकाशित। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित, विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में कहानी, लेख, मुक्तक, क्षणिकाएं, प्रेरक प्रसंग, कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी से अनुमोदित पुस्तकों में : आवाज, बाल कहानियां, उपयोगी पेड़ पौधे, शिक्षा एक गहना
व्यवसाय : लेखक, पत्रकार एवं शिक्षण कार्य में श्रेष्ठता।
सम्मान : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा कहानी लेखन में प्रथम पुरस्कार सहित पांच दर्जन सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महेंद्रगढ़ न्यायाधीश द्वारा रजत पदक से सम्मानित। अरुंधती वशिष्ठ अनुंसधान पीठ द्वारा देशभर से आयोजित निबंध लेखन में एक्सीलेंस अवार्ड। हरियाणा के राज्यपाल से पुरस्कृत। तीन शोध भी प्रकाशित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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