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मौका तुझे मिला है अर्जुन

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच (मध्य प्रदेश)
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वर्तमान में फैल रही महामारी को समाप्त करने की जंग में जितने भी सहयोगी किरदार हैं, चाहे डॉक्टर हों, चाहे नर्स हों, चाहे पुलिसकर्मी हों, चाहे सफाईकर्मी हों,चाहे वार्ड बाय हों, चाहे वैज्ञानिक हों चाहे अंतिम संस्कार करने वाले हों चाहे सर्वेयर हों या अन्य कोई दायित्व स्वेच्छा से या शासन के आदेशानुसार निर्वहन करने वाले हों, सभी योद्धा हैं और आज के अर्जुन हैं उन्हीं से भगवान श्रीकृष्ण गीता में कह रहे हैं….

कहा कृष्ण ने अर्जुन से ये,
तेरा ये कर्तव्य है सुनले।
धर्मयुद्ध से बढ़कर कोई ,
काम कहां है जो तू चुनले।।
धर्मयुद्ध है द्वार स्वर्ग का,
भाग्यवान इसमें जाते हैं।
खोकर के स्वधर्म लोग यश,
खोते पापी कहलाते हैं।।

तू योद्धा है पापी मत बन,
अपकीर्ति में लिपटा मत तन।
भाग गया है डर कर अर्जुन,
क्या सुन पाएगा तेरा मन।।
अगर मरा तो स्वर्ग मिलेगा,
जीता अगर राज्य पाएगा।
दुःख पाने से तो अच्छा है,
के तू योद्धा कहलाएगा।।

लाभ हानि जय और पराजय,
सुख दुःख में मत अंतर कर तू।
अपनी झोली में अपयश के,
मत बढ़कर के कांटे भर तू।।
इसी बुद्धि से तू अपने सब,
कर्मों के बंधन काटेगा।
तब जाकर उस पार पहुंचने,
के पथ की खाई पाटेगा।।

कर्मयोग को साध धर्म सा,
भूल जन्म मृत्यु के भय को।
मौका तुझे मिला है अर्जुन,
ले ले अपने लिए अभय को।।
सिर्फ स्वर्ग ही परम प्राप्य है,
बुद्धिहीन जन ही कहते हैं ।
जो आसक्ति रखें माया में,
माया के वश में रहते हैं।।

तू आसक्तिहीन कर खुद को,
मेरे प्रेम में केवल खो जा।
स्वाधीन अंतस करले तू,
परम शक्ति में स्थित हो जा।।
कर्म तेरा अधिकार फकत है,
फल तेरा अधिकार नहीं है।
तू वेदों से ऊपर उठ जा,
मेरा कोई पार नहीं है।।

सद् बुद्धि से युक्त हुआ तो,
पाप पूण्य से मुक्त रहेगा।
मुक्त कर्म बंधन से होकर,
जन्मों का ना ताप सहेगा।।
“अनंत” माया के दलदल से,
पार उतर जाएगा अर्जुन।
होकर के बैरागी बुद्धि,
मुझमें ठहर पाएगा अर्जुन।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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