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दूर बहुत हो तुम

उषा गुप्ता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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दूर बहुत हो तुम
पर हो दिल के पास
बिना कहे ही समझ जाते
क्या है मेरे मन की आवाज़।।

यह कैसा नाता अपना
कैसा है यह अमर स्नेह
कैसे रख लेते ख्याल मेरा
कैसे बढ़ता जाता नेह।।

आज के इस कलयुग में
तुम कैसे आ गए राम
दिन दूना रात चौगुना
जग में बड़े तुम्हारा नाम।।

रोम रोम यह मेरा तो
देता रहता तुझे दुआएँ
प्रीत की यह पाती मेरी
नज़र किसी की ना लग जाए।।

विनती उस परमपिता से
हर जन्म हमें ऐसे ही मिलाए
तू तो बस मेरा बेटा
मेरा लाडला बनकर आए।।

परिचय :उषा गुप्ता
निवासी : इंदौर (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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