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कल पेड़ आया था सपने में

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रचयिता : भारत भूषण पाठक

कल पेड़ आया था
सपने में एक मेरे
आकर वो बोला यूँ मुझसे।
मैं एक बात पूछता हूँ तुझसे।।
बताना यह तुम सच-सच मुझको।
आती कभी दया नहीं तुम सबको।।
उखाड़ते हो अंग-प्रत्यंग सब हमारे।
मन में आती नहीं यह बात तुम्हारे।।
हैं प्राणयुक्त तुम सब की भांति हम सब भी।
असहाय वेदना होती है हमें उखाड़ते हो जब भी।।
सोचा कभी है तुमने हम हैं तभी तुम हो।
गर हम नहीं तो तुम सब भी तो नहीं हो।।
जीवित हैं जब हम रहते कितना सुख तुम्हें पहुँचाते।
सोचो तुम ही न भला अन्न,जल,छाया कहाँ तुम पाते।।
कहाँ बैठकर थककर भला यूँ सुस्ता तुम कभी पाते।
बताओ न कहाँ बीतता बचपन तब तुम सबका।
कहाँ से मिलते कुछ क्षण वो अति आनन्द का।।
सोचो न जीवित थे तो तब भी जीते थे तुम्हारे लिए।
आज मर रहे हेैं हम सब जब हरदिन तो तुम्हारे लिए।।
वृक्ष लगाएं ….. जीवन बचाएं …..
लेखक परिचय :- 
नाम – भारत भूषण पाठक
लेखनी नाम – तुच्छ कवि ‘भारत ‘
निवासी – ग्राम पो०-धौनी (शुम्भेश्वर नाथ) जिला दुमका(झारखंड)
कार्यक्षेत्र :- आई.एस.डी., सरैयाहाट में कार्यरत शिक्षक
योग्यता – बीकाॅम (प्रतिष्ठा) साथ ही डी.एल.एड.सम्पूर्ण होने वाला है।
काव्यक्षेत्र में तुच्छ प्रयास :- साहित्यपीडिया पर मेरी एक रचना माँ तू ममता की विशाल व्योम को स्थान मिल चुकी है काव्य प्रतियोगिता में।

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