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हां, मैं शिक्षक हूं!

संजू “गौरीश” पाठक
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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शिक्षक एक ऐसा दीपक है,
खुद अंधकार में रहता है।

करता आलोकित पथ सबका,
तिल – तिल करके खुद जलता है।।

हो विकट परिस्थिति कितनी भी,
मेहनत का पाठ पढ़ाते हैं।

मन का विज्ञान समझकर ही
शिक्षण में रुचि जगाते हैं।।

होते हैं ज्ञान पिपासु स्वयं,
संस्कारों का करते विकास।

बच्चों के स्तर पर जाकर,
सिखलाते हर संभव प्रयास।।

अपनाते नवाचार शिक्षण,
शिक्षा गुणवत्ता में सुधार।

अगणित गतिविधियां अपनाकर,
करते हैं शिक्षा का प्रसार।।

कर सहन प्रहार कोराेना का,
दायित्व निर्वहन में डटे रहे।

ऑनलाइन पद्धति अपनाकर,
निर्बाध शिक्षण करते रहे।।

परिचय :- संजू “गौरीश” पाठक
निवासी : इंदौर मध्य प्रदेश
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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