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तड़प

विमल राव
भोपाल म.प्र

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हर रात गुजरती हैं तनहा
शायद तुजको एहसास नहीं।
एक कसक बसी हैं इस दिल में
पर मिलने की कोई आस नहीं।।

कहते हैं सब लोग यहाँ
तू पागल हैं दीवाना हैं।
शायद उसकी नज़रों में अब
तेरी कुछ भी औकात नहीं ।।

क्या खता करी थी हमने जो
उसने ऐसा एहसान किया।
एक प्यारे से मंदिर को फिर
उसने सूना शमशान किया।।

ताउम्र तेरा दीदार रहें
इस दिल में हमेशा प्यार रहें।
बददुआ तुझे में देता हूँ
जा सुखी तेरा संसार रहें।।

प्यारा सा पिया मिले तुझको
हों खुशियाँ तेरे दामन में।
अपनी तो इल्तजा हैं इतनी
दम निकले तेरे आँगन में।।

जेसे मझधार चढ़ी नैय्या
हों बीच भँवर में खिला कमल।
क्या सोच रहा हैं तु पल पल
वो कभी ना तेरी हुई “विमल”।।

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परिचय :- विमल राव सामाजिक कार्यकर्ता एवं प्रदेश सचिव अ.भा.वंशावली संरक्षण एवं संवर्द्धन संस्थान म.प्र.
निवासी : भोपाल म.प्र


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