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कुछ लिख रही हूँ

डॉ. अलका पांडेय
मुंबई (महाराष्ट्र)

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पति थका हारा आफिस से आता है पत्नि को आवाज़ देता है… सोनम ज़रा एक गिलास पानी और चाय देना आज बहुत थक गया हूँ, सर दर्द कर रहा है, चाय दे कर थोड़ा सा बाम सर में मल दो थोडा सो जाऊँगा तो आराम हो जायेगा।
सोनम मैं कुछ लिख रही हूँ। आप पानी लेकर पी लो मैं बस यह लिख कर आप को चाय बना कर लाती हूँ फिर बाम लगा कर सर दबा दूंगी।
पति जी पानी लेकर पी लेते हैं और कमरे में आकर कपडे बदल कर हाथ मुँह धोकर भगवान को अगरबत्ती भी जला देते है पर सोनम चाय लेकर नहीं आती।
वो फिर आवाज़ देते है क्या हुआ चाय नहीं बनी…
अरे बना रही हूँ, ला रही हूँ आप आराम करो ला रही हूँ…
काफ़ी देर बात सोनम चाय लेकर आती है तो पति देव पूछ ही बैठते हैं…
आप सारा दिन क्या लिंखती रहती है क्या कोई किताब लिख रही है?
सोनम नहीं किताब नहीं सारा दिन मुझे फ़ुरसत नहीं मिलती है, फ़ेस बुक, वाटसप पर, रोज़ जबाब देनी होता है, जन्मदिन की हार्दिक शुभकामनाएँ, शादी की सालगिरह की हार्दिक बधाई,फ़ोटो पर सुंदर तस्वीर, खुबसूरत छायाचित्र, अदभूद, अद्भुत, और मौज करो, वाह क्या बात है, खूब घूमो मौज करो, आनंद मनाओ, ख़ुश रहो, धन्यवाद, शुभप्रभात, शुभ रात्री और बहुत दुःखद, ओम शांति, श्रद्धांजलि, हरि ओम शांति और सो स्वीट, प्यारा बालक आदि लिखना ही बंद नहीं होता सारा दिन घर का काम फिर सबके जवाब कहाँ समय मिलता है मुझे जो और कुछ लिखूं ….
पति महोदय चुप क्या कहते हैं बहुत लिखना पड़ता है …
और सुनो अब तुम जाओ यहाँ से मैं अपना सर स्वयं दबा लूँगा मुझे बाम की डब्बी दे दो, जल्दी से खाना बना दो एक घंटे में चाय मिली है खाना कब मिलेगा ? फिर तुम्हें फेसबुक पर जवाब देना होगा…
रात को जाग कर कर लूँगी आप बताओ क्या खाएँगे अभी झटपट बना लाती हूँ फिर सोने से पहले सर दबा दूँगी, अच्छी नींद आ जायेगी…
जी ठीक है जो बनाएगी सब खा लूँगा, अब जाये आप खाना बनाऐ।
सोनम खाना बनाती है बीच बीच पर अपना वाटसप पर संदेश देने का काम भी करती जाती है।
सहेलियों से बात भी करती है। फटा-फट खाना बनाकर पति के रुम में जाकर कहती है चलो जल्दी से खाना खा लो दस बजे मेरी सहेली वाटसप पर चेट करेगी, तब तक सब काम निपटाना है आप खाना खा कर आराम करना, में रसोई का काम निपटा कर आप का सर दबाकर
जल्दी से आप को सुला दूँ , फिर बबीता से चैट करनी है ।
पति बेचारा कुँछ बोला नहीं चुपचाप खाना खाने बैठ गया और बोला सोनम तुम मेरी चिंता मत करो मैंने बाम मल लिया है तुम काम निपटाओ और सहेलियों से चैट करो …
तुम्हारा बहुत जरुरी काम है वह करो मेरा क्या है? सर ही दुख रहा है ठीक हो जायेगा… तुम वाटसप पर रहो मैं मेरा देख लूँगा।
अरे नहीं कैसी बातें करते हो में बबीता से कह दूंगी आज जल्दी से सब बातें बता दे मैं ज़्यादा देर नहीं रुक पाऊँगी, आप के सर में दर्द है कह दूँगी…
पति कुछ समझ न पाया सोनम के चेहरे के भाव पढंने की नाहक कोशीश करता रहा की मेरी फ़िक्र है या चैटिंग कम कर पाने का दुख …जब कुछ समझ न आ पाया तो लम्बी सांस खींच कर बिना कुछ कहे सोनम पर नज़र डाल सोने चले गये ….

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परिचय : डॉ. अलका पांडेय एक समाजसेविका के साथ-साथ एक लेखिका भी है, अलका जी का जन्म कानपुर के मंधना के रामनगर मे हुआ था
दादा पं श्यामसुंदर शुक्ल जी संस्कृत के परकांण विद्वान थे। और मंधना कालिदास मे संस्कृत पढ़ाते थे! पिता डां शिवदत्त शुक्ल इंदौर में कालेज मे प्रिंसिपल थे ! लेखन की प्रेरणा दादा व पिता से मिली आपने सैंकड़ों सम्मान प्राप्त किये हैं एवं कई संस्था के साथ विभिन्न पदों पर सक्रिय कार्य कर रही हैं… कई वषों से लेखन कार्य जारी रखते हुए कई साझा संकलनों व पत्रिकाओं में आपकी रचनाये प्रकाशित होती रहती हैं …


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