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दर्द लिखते हैं

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रचयिता : शिवम यादव ”आशा”

हम तो आवाम का दर्द लिखते हैं,
दुनियां जिसको भूलती है
हम उसका नाम लिखते हैं,
सारी खताओ को माफ़ करो मेरी,
हम ऐसा इस दुनियां को पैगाम लिखते हैं…

ममता रूपी समुन्दर में डुबा सबको देती है
लेकिन साहब ये माँ की ममता ही है
जिसमें डूबते तो हैं लोग मगर मरते नहीं हैं

दुनिया में मानव का सच्चा
साथ तो सिर्फ “आँशू” देते हैं…
बाकी तो सब दिखावा मात्र होते हैं…

मोहब्बत में मेरी आकर वो
सियासत भूल जाती है
मोहब्बत इश्क की जन्ज़ीर है
जो एक दिन टूट जाती है

मेरे खिलाफ़ तेरा बड़े से बड़ा
सुबूत भी काम नहीं आयेगा…
क्योंकि तूने मोहब्बत की है
जिसे करने तेरा भाईजान नहीं आयेगा…

एक घर जला है गर
तो दूसरा जलाने की तुम कोशिश न करो
कारण भी हो फ़िर भी किसी को
विद्रोह की आग में झोंकने की कोशिश न करो

लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं
रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन “

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