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भागदौड़ की दुनिया

ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘ओम’
तिलसहरी (कानपुर नगर)
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आकर इस धरती पर मानव
कब सुख का पल तूने पाया।
भागदौड़ की इस दुनिया में,
ढूंढ रहे सब शीतल छाया।

रोटी-रोटी करता मानव
दिन-दिन भर फिरता रहता है।
पाने को वह सुख की रोटी,
भरपूर मेहनत करता है।
भूख और माया चश्मे ने,
मानव को है खूब थकाया।
भागदौड़ की इस दुनिया में,
ढूंढ रहे सब शीतल छाया।

सूरज की किरणों संग सदा
चिंता का पहाड़ है आता।
क्या करना किसको पूरे दिन
सब विधान वही तो बताता ।
अर्थ-अर्थ की दुनिया सारी,
भूख अर्थ की है इक माया।
भागदौड़ की इस दुनिया में,
ढूंढ रहे सब शीतल छाया।।

परिचय :- ओमप्रकाश श्रीवास्तव ‘ओम’
जन्मतिथि : ०६/०२/१९८१
शिक्षा : परास्नातक
पिता : श्री अश्वनी कुमार श्रीवास्तव
माता : श्रीमती वेदवती श्रीवास्तव
निवासी : तिलसहरी कानपुर नगर
संप्रति : शिक्षक
विशेष : अध्यक्ष राष्ट्रीय अंतरराष्ट्रीय बदलाव मंच उत्तरीभारत इकाई, रा.उपाध्यक्ष, क्रांतिवीर मंच, रा. उपाध्यक्ष प्रभु पग धूल पटल, रा.मीडिया प्रभारी-शारदे काव्य संगम, प्रभारी हिंददेश उत्तरप्रदेश इकाई
साहित्यिक गतिविधियां : विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, आदि १०० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय/अंतरराष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। ५ साझा संकलनों में रचनाएँ प्रकाशित, अनेक पत्र पत्रिकाओं, ई-बुक, काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी। अब तक ३०० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ३०० से अधिक सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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