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दुनिया

रचयिता : राम शर्मा “परिंदा”

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दुनिया

अजीब-अजीब हालात
दिखाती है दुनिया ।
डर गये तो जीवनभर
डराती है दुनिया  ।
जीवन में हमेशा
मुस्कुराते रहो ,
गर रो दिये तो फिर
रुलाती है दुनिया ।
जिंदो के हालात
कोई न पूछे ,
मुर्दो को कंधे पर
उठाती है दुनिया ।
गरीबों को रोटी भी
सूखी मिल रही ,
पत्थरों को घी- दूध से
नहलाती है दुनिया ।
कहने को तो शिक्षा का
प्रसार हो गया ,
फिर भी अंधविश्वासों में
खो जाती है दुनिया ।
जीवनभर जलें
दुश्मनों की आहों से ,
फिर भी मरने के बाद
जलाती है दुनिया ।
पत्थरों पर भी रस्सी के
निशान हो गये ,
‘परिंदा’ की बातें समझ न
पाती है दुनिया ।

लेखक परिचय : –  नाम – राम शर्मा “परिंदा” (रामेश्वर शर्मा) पिता स्व जगदीश शर्मा आपका मूल निवास ग्राम अछोदा पुनर्वास तहसील मनावर है। आपने एम काम बी एड किया है वर्तमान में आप शिक्षक हैं आपके तीन काव्य संग्रह 1 परिंदा , 2- उड़ान , 3- पाठशाला प्रकाशित हो चुके हैं और विभिन्न समाचार पत्रों में आपकी रचनाओं का प्रकाशन होता रहता है, दूरदर्शन पर काव्य पाठ के साथ-साथ आप मंचीय कवि सम्मेलन में संचालन भी करते हैं। आपके साहित्य चुनने का कारण – भावाभिव्यक्ति का माध्यम है अन्य अभिरुचि – अध्यात्मिक एवं ज्योतिष संबंधी शो …

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