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मजदूर

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.)
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हमारे देश में मजदूरों की दशा कभी भी अच्छी नहीं रही। यह अलग बात है कि वर्तमान में सरकारों के द्वारा मजदूरों के लिए काफी कुछ किया गया। लेकिन मजदूरों की दशा में मूलभूत सुधार नहीं हो पाया। आज भी हमारे देश का मजदूर अपने मूलभूत जरूरतों के दल-दल को पार नहीं कर पाया है। मजदूरों की अपनी समस्याएं हैं। परिवार स्वास्थ्य शिक्षा उनकी मूलभूत समस्याएं हैं। जिस पर कार्य किए जाने की जरूरत सभी प्रदेश सरकार व केंद्र सरकार का उत्तरदायित्व है कि मजदूरों के लिए प्रभावी योजनाएं बनाएं और उसका सख्ती से पालन कराएं। सरकारों को यह भी देखना होगा कि उनके द्वारा घोषित योजनाओं का क्रियान्वयन कितना धरातल पर उतर रहा है। कोरोना काल में मजदूरों की जो दुर्दशा हुई है, वे जिस दर्द से गुजरे हैं वह काफी असहनीय और राष्ट्र समाज के शर्मनाक भी है और दर्दनाक भी।

अपने घरों को पहुंचने की कोशिश में जाने कितने मजदूरों ने घर पहुंचने से पहले ही दम तोड़ दिया। भूख प्यास से तड़पते मजदूर हजारों किलोमीटर पैदल चलकर कई-कई दिन में अपने घर पहुंचे अनेक लोग अव्यवस्थाओं के कारण अमान्य व्यवस्था के बीच किसी तरह घर पहुंचने में कामयाब हो पाए। कोई साइकिल से कोई रिक्शा से, कोई ठेला से, कोई बाइक, स्कूटी से अपनी और परिवार की जिंदगी की जंग लड़ते हुए किसी तरह घर पहुंचने में कामयाब भी हुए तो उनके सामने रोजी-रोटी की समस्याएं भी उनके सामने रोजी-रोटी की समस्याएं भी भी जैसे उनका इंतजार कर रही थी। सरकारों के द्वारा दिए हुए इंतजाम नाकाफी साबित हुए। यह अलग बात है तमाम लोगों ने संस्थाओं ने सरकारों ने भरसक प्रयास किया इन सबके बावजूद सारे प्रयास नाकाम ही रहे।
मजदूरों की दशा सुधारने के लिए सरकारों को चरणबद्ध ढंग से योजना बनाने और उसके सख्ती से क्रियान्वयन की जरूरत है। जब तक राजनीतिक पैंतरे बाजी चलेगी मजदूरों की दशा में सुधार हो पाना दिवास्वप्न से ज्यादा कुछ नहीं हो सकता। इसमें उद्योगपतियों समाजसेवी संस्थाओं प्रबुद्ध नागरिकों का सहयोग लिया जाना चाहिए। सरकारों को मजदूरों की दशा सुधारने के लिए संकल्प बद्ध होकर कदम उठाने होंगे। जब तक ऐसा नहीं ऐसा नहीं होगा तब तक मजदूरों की दशा में सुधार नहीं होगा और मजदूर वर्ग यूँ ही घुट-घुट कर जीवन जीने के लिए मजबूर रहेगा।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१/०७/१९६९
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई., पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
संप्रति : निजी कार्य
विशेष : अधीक्षक (दैनिक कार्यक्रम) साहित्य संगम संस्थान असम इकाई।
रा.उपाध्यक्ष : साहित्यिक आस्था मंच्, रा.मीडिया प्रभारी-हिंददेश परिवार
सलाहकार : हिंंददेश पत्रिका (पा.)
संयोजक : हिंददेश परिवार(एनजीओ) -हिंददेश लाइव -हिंददेश रक्तमंडली
संरक्षक : लफ्जों का कमाल (व्हाट्सएप पटल)
निवास : गोण्डा (उ.प्र.)
साहित्यिक गतिविधियाँ : १९८५ से विभिन्न विधाओं की रचनाएं कहानियां, लघुकथाएं, हाइकू, कविताएं, लेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि १५० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक कहानी, कविता, लघुकथा संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन, कुछेक प्रकाश्य। अनेक पत्र पत्रिकाओं, काव्य संकलनों, ई-बुक काव्य संकलनों व पत्र पत्रिकाओं, न्यूज पोर्टल्स, ब्लॉगस, बेवसाइटस में रचनाओं का प्रकाशन जारी।अब तक ७५० से अधिक रचनाओं का प्रकाशन, सतत जारी। अनेक पटलों पर काव्य पाठ अनवरत जारी।
सम्मान : विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा ४५० से अधिक सम्मान पत्र। विभिन्न पटलों की काव्य गोष्ठियों में अध्यक्षता करने का अवसर भी मिला। साहित्य संगम संस्थान द्वारा ‘संगम शिरोमणि’सम्मान, जैन (संभाव्य) विश्वविद्यालय बेंगलुरु द्वारा बेवनार हेतु सम्मान पत्र।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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