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हिंदी में कार्य ही, मातृभाषा की सही स्तुति होगी

संजय वर्मा “दॄष्टि”
मनावर (धार)

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देवनागरी लिपि में ग्यारह स्वर और तैतीस व्यंजन से बनी होती है| हिंदी में वैज्ञानिक भाषा समाहित है।अंग्रेजी भाषा में ये खूबी देखने को नही मिलती।इसमें शब्दों के उच्चारण मुँह के अंगों से निकलते है।जैसे कंठ से निकलने वाले शब्द,तालू से,जीभ से जब जीभ तालू से लगती,जीभ के मूर्धा से,जीभ के दांतों से लगने पर,होठों के मिलने पर निकलने वाले शब्द ।अ, आ  आदि शब्दावली से निकलने वाले शब्द इसी प्रक्रिया से बनकर निकलते है।इसी कारण हमें अपनी भाषा पर गर्व है।आज भी कई स्थानों पर दुकानों के बोर्ड अंग्रेजी में टंगे होते है |हिंदी में लगाने से उनका स्टेट्स कम होता है ऐसा उनका मानना है |नौकरी व्यापार में भी यही हालत है |अंग्रेजी का होना आवश्यक |जबकि शासन हिंदी को शासकीय कार्य में प्राथमिकता देने हेतु हर साल कहता आया है|सोशल मिडिया पर हिंदी के भंडार है किंतु उसका उपयोग लोग कहा कर पाते ? वो तो महज मनोरंजन की तलाश में ही इसे देखते आये है |हिंदी भाषा प्रचार समिति ने 1953 में 14 सितंबर को हिंदी दिवस के रूप में चुना |ताकि प्रचार प्रसार होकर हिंदी को प्राथमिकता मिले |वर्तमान में अंग्रेजी शब्दों को हिंदी में से निकालना यानि बड़ा ही दुष्कर कार्य है।सुधार का पक्ष देखे तो हिंदी में व्याकरण और वर्तनी का भी बुरा हाल है ।कोई कैसे भी लिखे ,कौन सुधार करना चाहता है ? भाग दौड़ की दुनिया में शायद बहुत कम लोग ही होंगे जो इस और ध्यान देते होंगे।सुधार हेतु जाग्रति लाने की आवश्यकता है |बच्चों को अपनी सृजनात्मकता ,मौलिक चिंतन को विषयान्तर्गत रूप से हिंदी व्याकरण और वर्तनी में सुधार की और ध्यान देना होगा ताकि निर्मित शब्दों के हिंदी में परिभाषित शब्द सही तरीके से व्यक्त,लिख- पढ़ सकें ।हिंदी के प्रचार -प्रसार हेतु लेखनीय कार्य हिंदी में ही अनिवार्य करना होगा ताकि हिंदी लिखने की शुद्धता बनाई जा सके।राजभाषा ,मातृभाषा की सही स्तुति के लिए ये कार्य करना आवश्यक  है ताकि राजभाषा  मातृ भाषा का सही मायने में सम्मान हो सके |
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परिचय :- नाम :- संजय वर्मा “दॄष्टि” पिता :- श्री शांतीलालजी वर्मा
जन्म तिथि :- २ – मई -१९६२ (उज्जैन )
शिक्षा :- आय टी आय
व्यवसाय :- ड़ी एम (जल संसाधन विभाग )
प्रकाशन :- देश – विदेश की विभिन्न पत्र – पत्रिकाओं में रचनाएँ व समाचार पत्रों में निरंतर पत्र और रचनाओं का प्रकाशन, प्रकाशित काव्य कृति “दरवाजे पर दस्तक “, खट्टे मीठे रिश्ते उपन्यास कनाडा -अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर विश्व के ६५ रचनाकारों में लेखनीयता में सहभागिता भारत की और से सम्मान – २०१५ , अनेक साहित्यिक संस्थाओं से सम्मानित
संस्थाओं से सम्बद्धता :- शब्दप्रवाह उज्जैन, यशधारा – धार, मगसम दिल्ली,
काव्य पाठ :- काव्य मंच/आकाशवाणी/ पर काव्य पाठ, शगुन काव्य मंच


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