Sunday, December 22राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

शब्द कलश

अर्पणा तिवारी
इंदौर (मध्य प्रदेश)

********************

शब्द कलश भी रिक्त हुए है,
भावों की गंगा बहती है।
हृदय कुंज के झुरमुट में मां,
अमराई सी रहती है।

शब्द अनूठा अनुपम ऐसा,
परमेश्वर ने उपहार दिया।
जहां स्वयं न पहुंचे भगवन,
सृष्टि को आधार दिया।
ममता पर जो लिखना चाहा,
कलम भला कब थमती है।
हृदय कुंज के झुरमुट में मां,
अमराई सी रहती है।

सहकर पीड़ा भारी जो,
जीवन का पुष्प खिलाती है।
जाग जाग कर रातों में जो,
लोरी मधुर सुनाती है।
पूजाघर में जलते दीपक सी,
जो घर को आलोकित करती है।
तुलसी दल सी पावन है
जो मन को सुरभित करती है।
क्या लिख जाऊं क्या छोड़ूं मै,
मंथन की लहरे चलती है।
हृदय कुंज के झुरमुट में मां,
अमराई सी रहती है।

जीवन के तपते रेगिस्तानों में
आंचल की ठंडी छाह मिली।
कठिन डगर पर कैसे गिरती,
मुझको मां की बांह मिली।
मंजिल मंजिल पार करूं मैं,
शूल स्वयं ही हट जाते है।
जब मेरे गालों पर आकर,
मां के हाथ ठहर जाते है।
मुस्कान मनोहर मां की छाया,
त्रिवेणी सी लगती है।
हृदय कुंज के झुरमुट में मां,
अमराई सी लगती है।

नैहर की सीढ़ी पर जाऊं मां,
हंसकर गले लगाती है।
उसकी बूढ़ी आंखे मुझ पर,
प्रेम सुधा बरसाती है।
पास बैठाकर मुझको जो अब भी,
तन से कमजोर बताती है।
मेरे पकते बालों को जो,
देख जरा घबराती है।
मां के बिन नैहर कैसा,
दुनियां सच ही कहती है।
हृदय कुंज के झुरमुट में मां,
अमराई सी रहती है।

.

परिचय :- अर्पणा तिवारी
निवासी : इंदौर मध्यप्रदेश
शपथ : मेरी कविताएँ और गजल पूर्णतः मौलिक, स्वरचित और अप्रकाशित हैं


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻 hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *