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नारियाँ : अबला या सबला

सुधीर श्रीवास्तव
बड़गाँव, जिला-गोण्डा, (उ.प्र.)

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                                      ये ऐसा विषय है जिस पर पूरे विश्वास से कोई कुछ भी नहीं कह सकता। क्योंकि इस परिप्रेक्ष्य में सिक्के के दोनों पहलुओं का अपना अपना मजबूत पक्ष है और किसी भी एक पक्ष को कम करके आंकना खुद को धोखा देना ही कहा जायेगा।
इस बात से कोई इंकार नहीं कर सकता कि नारियां नित नये मुकाम पर पहुंच रही हैं। जिंदगी के हर क्षेत्र में अपने आप को न केवल सिद्ध कर रही हैं। बल्कि खूद को स्थापित कर खुद को खुद से ही चुनौती पेश कर कदम दर कदम अपने बुलंद हौसले की मिसाल भी पेश कर रही हैं।शिक्षा, कला, साहित्य, विज्ञान, सेना, खेलकूद, प्रशासन, राजनीति हर जगह अपनी मजबूत उपस्थिति का अहसास करा रही हैं। यही नहीं चूल्हा चौका से बाहर भी नारियां अपनी नेतृत्व क्षमता का भी लोहा मनवा रही हैं। इसलिए ये कहना गलत ही होगा कि नारियां अबला या कमजोर हैं।
लेकिन दूसरे पहलू पर ध्यान जाते ही शरीर में झुरझुरी सी होने लगती है। इसी समाज में आज भी नारियां घरेलू हिंसा, दहेज उत्पीड़न/हत्या, दोयम दर्जे का व्यवहार, भेदभाव, शारीरिक उत्पीड़न/हिंसा, रेप, रेप के बाद नृशंस हत्या, और क्या क्या नहीं सह रही है।
इस बात से कौन इंकार कर सकता है कि अब तो छोटी-छोटी बच्चियां भी छेड़छाड़, रेप, हत्या का शिकार हो रही हैं।
अब यह विडंबना नहीं तो क्या कहा जाय कि अब तो ऐसे दुष्कृत्यों में परिवार के सगे संबंधी भी शामिल होते देखे सुने जाते हैं। यही नहीं कुछेक घटनाओं में तो पिता ही ऐसे दुष्कृत्य करते सामने आये हैं।
अब सोचने की जरुरत यह है कि आखिर नारियां कब, कहाँ और कैसे सुरक्षित महसूस करें। जब पिता, चाचा, मामा, भाई, चचेरा भाई भी ऐसे दुष्कर्म करेंगे, तो नारियां सुरक्षित कैसे कही जा सकती हैं?
संक्षेप में यही कहा जा सकता है कि हम नारियों के सबला होने का भ्रम भले ही पालकर खुश हो लें, मगर जब तक समाज की मानसिकता नहीं सुधरेगी, तब तक नारी को सबला कहकर उनकी सुरक्षा के प्रति व्यक्ति, समाज, राष्ट्र का अपनी जिम्मेदारियों से मुँह मोड़ने के अलावा कुछ नहीं है।

परिचय :- सुधीर श्रीवास्तव
जन्मतिथि : ०१.०७.१९६९
पिता : स्व.श्री ज्ञानप्रकाश श्रीवास्तव
माता : स्व.विमला देवी
धर्मपत्नी : अंजू श्रीवास्तव
पुत्री : संस्कृति, गरिमा
पैतृक निवास : ग्राम-बरसैनियां, मनकापुर, जिला-गोण्डा (उ.प्र.)
वर्तमान निवास : शिवनगर, इमिलिया गुरूदयाल, बड़गाँव जिला-गोण्डा, उ.प्र.
शिक्षा : स्नातक, आई.टी.आई.,पत्रकारिता प्रशिक्षण (पत्राचार)
साहित्यिक गतिविधियाँ : विभिन्न विधाओं की कविताएं, कहानियां, लघुकथाएं, आलेख, परिचर्चा, पुस्तक समीक्षा आदि का १०० से अधिक स्थानीय से लेकर राष्ट्रीय स्तर की पत्र पत्रिकाओं में प्रकाशित। दो दर्जन से अधिक संकलनों में रचनाओं का प्रकाशन।
सम्मान : एक दर्जन से अधिक सम्मान पत्र।
विशेष : कुछ व्यक्तिगत कारणों से १७-१८ वषों से समस्त साहित्यिक गतिविधियों पर विराम रहा। कोरोना काल ने पुनः सृजनपथ पर आगे बढ़ने के लिए विवश किया या यूँ कहें कि मेरी सुसुप्तावस्था में पड़ी गतिविधियों को पल्लवित होने का मार्ग प्रशस्त किया है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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