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नारी है नारायणी

मनोरमा जोशी
इंदौर म.प्र.

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नारी है नारायणी,
नारी नर की खान,
नारी से ही उपजे नर,
ध्रव प्रहलाद समान।
घर परिवार का सबका,
रखती ध्यान अनन्य
गुणों की खान।
बंधनों के निबद्ध
भावनाओं की स्वतंत्र,
अभिव्यक्ति हैं नारी।
कटीली नागफनी राहों
मे गुलाब है नारी।
सोच का आंकडा बनाना,
जटिलताएं विवशताऐं,
समाज की समस्याएं,
रुढ़ी वादी परम्पराऐं,
सब निभाती नारी।
झरणें की मानिन्द शान्त,
कितनी पीड़ाऐं सहती,
है नारी।
रिश्तों की परिधि में
घिरकर सब कुछ,
सहती है नारी।
दुर्गा लक्ष्मी अहिल्या,
सीता सावित्री मीरा,
न जाने कितने रुप है
नारी।

परिचय :-  श्रीमती मनोरमा जोशी का निवास मध्यप्रदेश के इंदौर में है। आपका साहित्यिक उपनाम ‘मनु’ है। आपकी जन्मतिथि १९ दिसम्बर १९५३ और जन्मस्थान नरसिंहगढ़ है।
शिक्षा – स्नातकोत्तर और संगीत है।
कार्यक्षेत्र – सामाजिक क्षेत्र-इन्दौर शहर ही है। लेखन विधा में कविता और लेख लिखती हैं। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में आपकी लेखनी का प्रकाशन होता रहा है। राष्ट्रीय कीर्ति सम्मान सहित साहित्य शिरोमणि सम्मान, हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक सम्मान और सुशीला देवी सम्मान प्रमुख रुप से आपको मिले हैं। उपलब्धि संगीत शिक्षक, मालवी नाटक में अभिनय और समाजसेवा करना है। आपके लेखन का उद्देश्य-हिंदी का प्रचार-प्रसार और जन कल्याण है। कार्यक्षेत्र इंदौर शहर है। आप सामाजिक क्षेत्र में विविध गतिविधियों में सक्रिय रहती हैं। आपकी रचनाएँ हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) व एक काव्य संग्रह में प्रकाशित हुई है।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।

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