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विरह

विरह

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रचयिता : शिवम यादव ”आशा”

गर्मियो में प्रेम का विरह
सर्दियो की अपेक्षा
अधिक क्यों सताता है
शिवम अन्तापुरिया
होकर चूर तेरी बाहो में
मुझे सजना सवरना आता है
खुदा से पूछता हूँ कौन हो तुम
तो बस वो मुस्कुराता है
मोहब्बत के सफ़र में हम
तुम्हें यूँ मिल ही जाते हैं
सफर अंजाम तक पहुँचे
यही बस गुनगुनानते हैं
हमारा हाल क्या है यारों
ये मुझसे न तुम पूछो
मोहब्बत के सफ़र में हम
तुम्हें यूँ मिल ही जाते हैं
सफर अंजाम तक पहुँचे
यही बस गुनगुनानते हैं
हमारा हाल क्या है यारों
ये मुझसे न तुम पूछो
मोहब्बत से सज़ी महफ़िल में
वो नफ़रत दिखाते हैं
लेखक परिचय : नाम :- शिवम यादव रामप्रसाद सिहं ”आशा” है इनका जन्म ७ जुलाई सन् १९९८ को उत्तर प्रदेश के कानपुर देहात ग्राम अन्तापुर में हुआ था पढ़ाई के शुरूआत से ही लेखन प्रिय है, आप कवि, लेखक, ग़ज़लकार व गीतकार हैं
रुचि :- अपनी लेखनी में दमखम रखता हूँ !! अपनी व माँ सरस्वती को नमन करता हूँ !!
काव्य संग्रह :- ”राहों हवाओं में मन “

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