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जीत

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रचयिता : रीतु देवी

अरमानों की ख्यालों में लगा पंख,
सीढियाँ दर सिढियाँ चढ फूंक विजयी शंख,
देखकर अस्ताचल-उदयमान रवि ,
अहर्निश पग बढा खिला छवि,
सहस्त्रों बार चींटी भाँति गिर-गिरकर,
प्रयास करते रहना न पीछे पलटकर।
फंसना न कभी राहों के जाल में
सागरों की झंझावतों से निकलते रहना हर हाल में
कठोर तपस्या के लगाकर आसन,
अपने चमन के गगन का बढाना शान,
स्मरण कर कन्हैया संग मिश्री -माखन,
थामे रहना प्रतिपल श्रेष्ठजनों का दामन।

 

लेखीका परिचय :- 
नाम – रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार

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