अर्जुन सिंघल
जालोर (राजस्थान)
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बेटी बना पाओगे क्या…?
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी बना पाओगे क्या
घुंगट मे रहना
पसंद नही मुझे,
इस प्रथा को
ठुकरा पाओगे क्या
मै एक बेटी थी, बेटी सा
अनुभव करा पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी बना पाओगे क्या
अकेली काम करना
मुझे पसंद नहीं,
आप हाथ बटा
पाओगे क्या
तवे पर रोटिया सेंकी
मुझसे जाती नही,
आप सिखा पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी बना पाओगे क्या
हर बार मेरा चुप रहना
मुझे भाता नही,
कभी मेरी भी राय
ले पाओगे क्या
कभी मम्मी की तो
कभी पापा की याद मे,
उन जैसा प्यार
कर पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी बना पाओगे क्या
मम्मी के डाटने पर,
पापा की तरह चुप
करा पाओगे क्या
कभी डर लगने पर,
पापा की तरह गले से
लगा पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी सा सम्मान दे पाओगे क्या
काम करते-करते,
मै थक भी जाती हूँ,
पापा की तरह,
हाल पूछने आओगे क्या
कभी किसी बात पर
मुंह बना लेने पर,
पापा की तरह खुश
करा पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी सा सम्मान दे पाओगे क्या
कभी भाई तो कभी बहिन की
याद मे, उन जैसा
माहोल बना पाओगे क्या
कभी सहेली की याद मे,
उन जैसी बाते
कर पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी सा सम्मान दे पाओगे क्या
जेठ को जेठ कहना
मुझे आता नही,
बड़े भाई सा प्यार
दे पाओगे क्या
चार दिवारी मे रहना
मुझे पसंद नही,
बाहर घूमने कभी
ले जा पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी सा सम्मान दे पाओगे क्या
मम्मी बहुत याद
करती होगी, कभी मिलने
जाने दे पाओगे क्या
कभी रुठ जाने पर,
मम्मी की तरह
मना पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी होने का अहसास करा पाओगे क्या
माँ तो माँ होती है,
उन जैसी होड़
कर पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी होने का अहसास करा पाओगे क्या
ससुराल बनाना मुझे आता,
नहीं मायके सा अनुभव
करा पाओगे क्या
ससुर कहना मै चाहती नही,
पापा कहलाना
पसंद कर पाओगे क्या
बहु बनना मुझे आता नही,
बेटी होने का अहसास करा पाओगे क्या
दूसरों की बेटी को,
अपनी बेटी जैसा
प्यार दे पाओगे क्या
यें ही मै आपसे चाहती हूँ,
ऐसा समाज को
बता पाओगे क्या
मै पूछ रही हूँ आपसे…
सच- सच बताना
मै एक बेटी हूँ,
बेटी की तरह रख पाओगे क्या…?
परिचय :–अर्जुन सिंघल
निवासी : गांव- मोखातरा जिला- जालोर (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।
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