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तेरा थाल सजाऊँगी

ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
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आओ साई घर पर मेरे,
तेरा थाल सजाऊँगी।
रुचि रुचि के पकवान बना मैं,
तुझको भोग चढ़ाऊंगी।।

तुम आओगे जब घर मेरे,
भर जायेंगे भंडार मेरे।
मेरे घर के खालीपन में,
रच जायेंगे अरमान मेरे।।

नही रहेगी कोई प्यास तब,
और न कोई रहे रिक्तता।
चारो तरफ रहे उजाला,
और हो मन में एक पूर्णता।

फिर रूखा सूखा बना बना
मैं तुझको रोज खिलाऊंगी।
कहीं लगे न कड़वा तुझको,
मैं चख चख तुझे खिलाऊँगी।।

तू भी समझ कर भाव मेरे,
बडे प्यार से भोजन करना।
और जैसे भरना मेरी झोली,
वैसे ही तुम सबकी भरना।।

परिचय :- ममता श्रवण अग्रवाल (अपराजिता)
निवासी – धवारी सतना (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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