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फिर से होगी सहर

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच (मध्य प्रदेश)
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फिर से होगी सहर उजाला आएगा।
अंधियारे का बादल ये छंट जाएगा।।

फूल डालियों पर लौटेंगें।
भंवरे आकर पहरा देंगे।।
गंध हवा में घुल जाएगी।
कोयल कूंकेगी गाएगी।।
फिर बदला मौसम आएगा।
सबमें जीवन छा जाएगा।।
हरा भरा गुलशन फिर नगमे गाएगा।
फिर से होगी सहर उजाला आएगा।।

फिर से हाथ मिलाएंगे हम।
मिलजुल जश्न मनाएंगे हम।।
रंग उड़ेंगे फिर होली के।
बंद खुलेंगे फिर चोली के।।
नृत्य करेंगे गीत गाएंगे।
हाथ कमर में रख पाएंगे।।
फिर से रूठी राधा कृष्ण मनाएगा।
फिर से होगी सहर उजाला आएगा।।

फिरसे रोज अजानें सुनकर।
नहीं रहेंगे बैठे हम घर।।
फिर मंदिर में हलचल होगी।
पूजा फिर से अविरल होगी।।
धर्म – कर्म लेंगे अंगड़ाई।
कर देंगे पिछली भरपाई।।
ईश्वर का आशीष नहीं तरसाएगा।
फिर से होगी सहर उजाला आएगा।।

रोजगार फिर घर आएंगे।
अन्न पेट भरकर खाएंगे।।
नहीं पलायन होगा भाई।
नहीं कोई होगा हरजाई।।
रिश्ते मधुर बनेंगे सारे।
हो जाएंगे वारे न्यारे।।
नहीं भूख का दानव फिर तड़पाएगा।
फिर से होगी सहर उजाला आएगा।।

स्कूल के आंगन चहकेंगे।
रंग बिखरते फिर देखेंगे।।
साल खराब नहीं जाएगा।
फिर से हर फन इठलाएगा।।
देश नई ऊंचाई पाकर।
विश्वगुरु फिर से कहलाकर।।
विश्वगगन में परचम फिर लहराएगा।
फिर से होगी सहर उजाला आएगा।।

खतरा दूर चला जाएगा।
नहीं फटकने फिर पाएगा।।
कोरोना घुटनों पर होकर।
माफी मांगेगा रो-रोकर।।
नजर नही नीची फिर होगी।
इज्जत की पगड़ी सिर होगी।
घड़ा पाप का जिस दिन ये भर जाएगा।
फिर से होगी सहर उजाला आएगा।।

गम ना कर गर आज अंधेरा।
दिखता है तुझको बहुतेरा।।
हिरती फिरती छाँया है ये।
और प्रभु की माया है ये।।
दामन आशा का ना छोड़ें।
हिम्मत से ना नाता तोड़ें।।
रखा हौसला गर “अनंत” इठलाएगा।
फिर से होगी सहर उजाला आएगा।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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