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ऐसा क्यों, कब तक…???

धैर्यशील येवले
इंदौर (म.प्र.)

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मैं देख रहा हूँ
युगों से

कभी तुम पत्थर की शिला
बन जाती हो
तो कभी देकर अग्निपरीक्षा
धरती में समा जाती हो

कभी काट दी जाती है
तुम्हारी गर्दन
तो कभी अंगभंग की
शिकार हो जाती हो।

कभी भरी सभा में
अपमानित की जाती हो
तो कभी स्वार्थ वश
हर ली जाती हो।

कभी सधवा हो कर भी
विधवा सा जीवन जीती हो
तो कभी वरदान को
श्राप सा झेल जाती हो।

कभी बनती हो खिलौना
लम्पटों का
तो कभी स्वाभिमान के लिए
जलती चिता पर बैठ जाती हो।

कभी कुचल कर जला
दिया जाता है तुझे
तो कभी गर्भ में ही
मार दी जाती हो।

कब तक बनी रहोगी
विनीता
क्यो नही करती हो
तुम, प्रश्न
अहल्या, सिया, रेणुका
मीनाक्षी, द्रौपदी, अम्बिका
उर्मिला, कुंती, उर्वशी
पद्मिनी, वामा।
ऐसा क्यों, कब तक?
ऐसा क्यों, कब तक?

कितने सुंदर रूप है
तुम्हारे
माँ, बहन, बेटी
पत्नी, सखी।
फिर भी तुम
स्त्री, होने का दंड पाती हो।

परिचय :- धैर्यशील येवले
जन्म : ३१ अगस्त १९६३
शिक्षा : एम कॉम सेवासदन महाविद्याल बुरहानपुर म. प्र. से
सम्प्रति : १९८७ बैच के सीधी भर्ती के पुलिस उप निरीक्षक वर्तमान में पुलिस निरीक्षक के पद पर पीटीसी इंदौर में पदस्थ।
सम्मान : राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच इंदौर hindirakshak.com द्वारा हिंदी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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