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मल्टियों के असल मालिक कौन ….?

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रचयिता : विनोद वर्मा “आज़ाद”

समसामयिक विषय पर आधारित

देश मे मल्टियों पर मल्टियाँ तानी जा रही है। यही स्थिति हमारे मध्यप्रदेश और औद्योगिक राजधानी-इंदौर में भी बनती जा रही है। १ बीएचके, २ बीएचके के अतिरिक्त रो हाउस, बंगलो, अपना घर आदि-आदि नाम से लगा तार सीमेंट कंक्रीट के जंगल तैयार किये जा रहे है जहां मानव निवास करेंगे।
प्रतिदिन समाचार पत्रों में विज्ञापन दिए जा रहे है। सोशल मीडिया का उपयोग किया जा रहा है। फोन कॉल के द्वारा भी लोगों को साइट पर बुलाया जाकर उन्हें घुमाया जा रहा है। विभिन्न प्रकार के ऑफर चल रहे है। पुरस्कारों के लालच दिए जा रहे है। फटाफट लोन दिए जाने के लिए अनेकों बैंक के साथ लोन प्रोवाइड करवाने वाली संस्थाएं भी अपने प्रतिनिधियों के माध्यम से प्रयास को आतुर दिखाई दे रहे है।
वर्तमान में लोगों को ऐसा भी लगने लगा है कि भविष्य में पता नही हम मकान या फ्लेट ले पाएं या नही। इसलिए ये भी उतावले दिखाई दे रहे है। इस उतावलेपन का खामियाजा भी लोग पूर्व में प्लॉट के नाम पर भुगत चुके है। एक-एक प्लॉट की ३ -३ , ४ -४ रजिस्ट्रियां होती रही। भला हो सरकारों का और उसमें हमारे क्षेत्र के ईमानदार जन प्रतिनिधियों की नुमाइंदगी का कि कई लोग बच गए। उनका कुछ नुकसान भी प्लाट, मकान के नाम पर हुआ। अभी भी हम देख रहे है, बियाबान जंगलों को समाप्त किया जाकर बड़ी-बड़ी अट्टालिकाएं खड़ी होती जा रही है। ऐसे में हम सब को एक बात पर गौर करना चाहिए- हमने मल्टी में एक फ्लेट क्रय किया। ऐसे अनेकों लोग उस मल्टी के सारे फ्लेट क्रय कर लेते है। ५० ,७० या १०० वर्ष बाद वही मल्टी जीर्ण-शीर्ण होकर गिरने की कगार पर आएगी तब उसका और उसके फ्लेट धारकों का क्या होगा ??
अभी कुछ बड़े बिल्डिंग गिराए गए। कई किरायेदार थे, कई उसमें कुछ दुकान खरीद चुके थे। वर्षों बाद ये खतरनाक घोषित कर गिरा दी गई। अब उन जगहों का वास्तविक वारिस कौन ??
जिसके नाम पूरे प्लाट या भूखंड की रजिस्ट्री है वही उस खाली भूमि का मालिक कहा जायेगा। यहां हमें इस बात को ध्यान में रखना होगा उस मल्टी मालिक ने फ्लेट बनाकर बेच दिए है। तब गौर करने वाली बात यह है कि आपको उस मल्टी मालिक ने फ्लेट की दीवारें भी आपको नही दी है। केवल अंदर का हिस्सा उपयोग करने को दिया है इस एवज में रजिस्ट्री आपकी हुई है। चाहे हम यह लिखा हुआ ले लें कि आप फ्लेट मालिक है। शासन नीति अनुसार आपकी रजिस्ट्री हो जाएगी, इसमे कोई रोक भी नही ! क्योंकि रजिस्ट्री का मतलब दो पक्षों के बीच एक करार। शासन को हम राजस्व भी स्टाम्प शुल्क के रूप में जमा करते है।
अब आप सब महानुभाव, नागरिक जो भी खरीद करें उस पर मंथन अवश्य करे और मेरी इन बातों पर गौर करके अपने नही पर अपने दोहित-दोहिता, पौत्र-प्रपौत्र, प्रपोत्रियों के भविष्य को ध्यान में रखकर ही कोई सौदा करें जिससे उन्हें कहीं किसी भी प्रकार की दिक्कतों से दो-चार न होना पड़े।
मेरी दूरदृष्टि और लंबी सोच पर खुद सोचिए और सोच पर वास्तविकता का अमलीजामा पहनाने का प्रयास करें। मैने तो कर दिया आप सब को सचेत….

लेखक परिचय :- 
नाम – विनोद वर्मा
सहायक शिक्षक (शासकीय)
एम.फिल.,एम.ए. (हिंदी साहित्य), एल.एल.बी., बी.टी., वैद्य विशारद पीएचडी. अगस्त २०१९ तक हो जाएगी।
निवास – इंदौर जिला मध्यप्रदेश
स्काउट – जिला स्काउटर प्रतिनिधि, ब्लॉक सचिव व नोडल अधिकारी
अध्यक्ष – शिक्षक परिवार, मालव लोकसाहित्य सांस्कृतिक मंच म.प्र.
अन्य व्यवसाय – फोटो & वीडियोग्राफी
गतिविधियां – साहित्य, सांस्कृतिक, सामाजिक क्रीड़ा, धार्मिक एवम समस्त गतिविधियों के साथ लेखन-कहानी, फ़िल्म समीक्षा, कार्यक्रम आयोजन पर सारगर्भित लेखन, मालवी बोली पर लेखन गीत, कविता मुक्तक आदि।
अवार्ड – CCRT प्रशिक्षित, हैदराबाद (आ.प्र.)
१ – अम्बेडकर अवार्ड, साहित्य लेखन तालकटोरा स्टेडियम दिल्ली
२ – रजक मशाल पत्रिका, परिषद, भोपाल
३ – राज्य शिक्षा केन्द्र, श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
४ – पत्रिका समाचार पत्र उत्कृष्ट शिक्षक सम्मान (एक्सीलेंस अवार्ड)
५ – जिला पंचायत द्वारा श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान
६ – जिला कलेक्टर द्वारा सम्मान
७ – जिला शिक्षण एवम प्रशिक्षण संस्थान (डाइट) द्वारा सम्मान
८ – भारत स्काउट गाइड संघ जिला एवं संभागीय अवार्ड
९ – जनपद शिक्षा केन्द्र द्वारा सम्मानित
१० – लायंस क्लब द्वारा सम्मानित
११ – नगरपरिषद द्वारा सम्मान
१२ – विवेक विद्यापीठ द्वारा सम्मान
१३ – दैनिक विनय उजाला राज्य स्तरीय सम्मान
१४ – राज्य कर्मचारी संघ म.प्र. द्वारा सम्मान
१५ – म.प्र.तृतीय वर्ग शासकीय कर्मचारी अधिकारी संघ म.प्र. द्वारा सम्मान
१६ – प्रशासन द्वारा १५ अगस्त को सम्मान 
१७.- मालव रत्न अवार्ड २०१९ से सम्मानित।
१८.- २ अनाथ बेटियों को गोद लेकर १२वीं तक कि पढ़ाई के खर्च का जिम्मा लिया।


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