Monday, December 23राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

बच्चों को तराशने वाला जौहरी कौन ?

विनोद वर्मा “आज़ाद” 
देपालपुर

**********************

जिन पालकों के पास थोड़ा बहुत पैसा आना शुरू होता है, वह अपने बच्चों कोअशासकीय विद्यालयों में प्रवेश करा देता है।
      रेत छानने के चलने में से बारीक रेत छन जाती है व अनुपयोगी बंडे अलग रख दिये जाते है, वैसे ही अत्यंत दयनीय आर्थिक स्थिति वाले पालकों के अधिकांश बच्चे शासकीय विद्यालयों में प्रवेश लेते है। उनके प्रवेश के लिए भी शिक्षकों को काफी मशक्कत करना पढ़ती है। देखा जा रहा है झोपड़ पट्टियों,पन्नी-बोतल, लोहा-लंगर बिनने वालों, सस्ता सामान बेचने वालों, भिक्षावृत्ति करने वालों दाड़की, दानी-दस्सी करने वालों के बच्चे लगभग शासकीय विद्यालयों में पढ़ रहे है,कुल मिलाकर कहा जा सकता है यानी क्रीम निकालने के बाद बची छाछ प्रवेशित होती है,ऐसे छात्र चेलेंज के रूप में स्वीकार किये जाकर छाछ में से पुनः मंथन कर क्रीम निकालने का दुष्कर कार्य शिक्षक को करना पड़ रहा है।
स्वागत योग्य :-अपवाद कुछ आदर्शवादी पालक जरूर अपने बच्चों को शासकीय संस्थानों में अब प्रवेश दिला रहे है!
  प्रातः ८ से ८:३० पर पालक अपने कर्म-कर्तव्य स्थल के लिए निकल पड़ते है, विद्यालय समय सभी जगह लगभग एक जैसा ही है प्रातः १०:३० बजे से….
शासन की एक अच्छी पहल कि
“सब पढ़े-सब बढ़े”।
सबका मान बढ़ाना है,
स्कूल हमको जाना है।
के तहत कोई भी बच्चा/बच्ची शिक्षा से वंचित न रहे, प्रवेश अनिवार्य करने की वजह से शिक्षकों को प्रत्येक  बच्चे का नामांकन करके उसे पढ़ाना ही है लेकिन पालक बच्चों की ओर ध्यान न देकर दाड़की-मजदूरी में ही लगे रहते है। ऐसे में शिक्षकों में से पूर्ण समर्पित इक्का-दुक्का शिक्षक पहल कर प्रातः ६,७,८ बजे या सन्ध्या समय के वक़्त पालकों से मिलकर बच्चों को विद्यालय में प्रवेश के लिए समझाइश देते है,उन्हें पुस्तकें, शिक्षण सामग्री, गणवेश के साथ पौष्टिक मध्यान्ह भोजन देने सम्बन्धी जानकारी तथा भविष्य का सपना दिखलाकर प्रवेश करवाते है।
परेशानी :- छात्र कभी विद्यालय आ रहे है,कभी गली-मोहल्ले के बच्चों के बीच खेलने लग गए है,कभी शिक्षक छात्रों को ढूंढकर-पकड़कर लाते है,ऐसी आम बात हमे देखने को मिलती है। फिर कागजी खाना पूर्ति के लिए पालकों को समझाईश  देने के बावजूद जन्मप्रमाण पत्र उपलब्ध ना होना, अगर हो तो राशन कार्ड में बच्चे का नाम नहीं होने,नाम चड़वाने,आधार कार्ड नही है तो आधार कार्ड बनवाने का कहना,है तो एस.एस.एस.एम.आई.डी.नम्बर लाने का कहना!इसी में कई दिन बिगड़ते है। इसमे भी सबसे ज़्यादा घुमक्कड़ जातियों एवम बाहर दूर दराज से आये मजदूर वर्ग के बच्चों के दस्तावेज तैयार करवाने में काफी परेशानी के साथ वक्त भी जाया होता है। इस प्रकार धीमे-धीमे बच्चो का शिक्षा के मंदिर में ठहराव के साथ स्थिति में परिवर्तन होना प्रारम्भ हो जाता है।
फिर ‘अनार’ का ‘आम’ का शुरू होता है, १,२,३,४,५ तक अंक और A,B,C भी पट्टियों पर चॉक, पेम से उंगली पकड़ कर बच्चों को लिखवाने की पुरातन पद्धति का निर्वहन शुरू हो जाता है
      वर्तमान में नवप्रवेशित छात्रों को शासन स्तर पर  ‘अंकुर’ नाम दिया जा रहा है पालकों की लापरवाही के कारण बच्चे कभी विद्यालय आते है तो कभी गायब हो जातेहै।
    गणवेश की राशि के लिए बैंक खाता नम्बर नही है । खाता खुलवाने के लिए भी जतन करो,खाता नम्बर किसी अन्य का लाकर दे  देते है।आजकल हर जगह अनेकों बैंक हो गई है।व्यक्ति किसी सहजता वाले स्थल की बैंक में खाता खुलवा लेते है। विद्यालय का खाता किसी एक बैंक में ही होता है,चेक देने,खाता नम्बर में राशि स्थानां तरित करने में काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ता है।फिर पालक गणवेश खरीदे न खरीदे या राशि स्वयं के लिए व्यय कर दे,कोई बंधन नही।इसीलिए बच्चे बदरंग कपड़ों में नज़र आते है।
हाँ,इसके लिए एक आसान तरीका भी सामने आया,इस का उपयोग भी विद्यालयों द्वारा सहजता से किया गया गणवेश बतादी गई। पालक नाप अनुसार गणवेश ले आये दुकानदार को चेक थमा दिया। ऐसे में सभी छात्रों की गणवेश हो गई। और सुंदर नज़ारा भी लगा।
  ‘अंकुर’ से छात्र को ‘तरुण’ और फिर ‘उमंग’ तक लाना एक “त्रिवेणी” पेड़ को तैयार करने के समान होता है।अब ५वीं बोर्ड हो गई है।वास्तविक परिणाम देखने को मिलेंगे !
.

लेखक परिचय :- 
नाम – विनोद वर्मा “आज़ाद” सहायक शिक्षक (शासकीय)
एम.फिल.,एम.ए. (हिंदी साहित्य), एल.एल.बी., बी.टी., वैद्य विशारद पीएचडी. अगस्त २०१९ तक हो जाएगी।
निवास – इंदौर जिला मध्यप्रदेश
स्काउट – जिला स्काउटर प्रतिनिधि, ब्लॉक सचिव व नोडल अधिकारी
अध्यक्ष – शिक्षक परिवार, मालव लोकसाहित्य सांस्कृतिक मंच म.प्र.
अन्य व्यवसाय – फोटो & वीडियोग्राफी
गतिविधियां – साहित्य, सांस्कृतिक, सामाजिक क्रीड़ा, धार्मिक एवम समस्त गतिविधियों के साथ लेखन-कहानी, फ़िल्म समीक्षा, कार्यक्रम आयोजन पर सारगर्भित लेखन, मालवी बोली पर लेखन गीत, कविता मुक्तक आदि।
अवार्ड – सीसीआरटी प्रशिक्षित, हैदराबाद (आ.प्र.)
१ –आदर्श संस्कार शाला मथुरा द्वारा “शिक्षा रत्न अवार्ड”
२ –राज्य शिक्षा केन्द्र के अंतर्गत श्रेष्ठ शिक्षक सम्मान,पीटीएस.इंदौर
३ –भाषा गौरव सम्मान-राष्ट्रीय शिक्षक संचेतना म.प्र. इकाई।
४ –विश्व शिक्षक दिवस सम्मान-शिक्षक सन्दर्भ समूह।
५ –टीचर्स इनोवेटिव अवार्ड (राष्ट्रीय अवार्ड)
६ –नेशनल बिल्डर अवार्ड (हरियाणा)
७ –जिला कलेक्टर इंदौर द्वारा सम्मान।
८ –पत्रिका-समाचार पत्र टीचर्स एक्सीलेंस अवार्ड
९ –जिला पंचायत इंदौर द्वारा सम्मान।
१० –जिला शिक्षण एवम प्रशि क्षण संस्थान इंदौर द्वारा सम्मान।
११ – भारत स्काउट गाइड जिला संघ द्वारा सम्मान
१२ – लॉयन्स क्लब द्वारा सम्मान
१३ –दैनिक विनय उजाला समाचार पत्र का राज्य स्तरीय सम्मान
१४ –हिंदी साहित्य लेखन पर अम्बेडकर फेलोशिप।
१५ –राज्य कर्मचारी संघ, म.प्र.द्वारा सम्मानित
१६ –शासकीय अधिकारी, कर्मचारी संघ द्वारा सम्मान।
१७ –रजक मशाल पत्रिका परिषद द्वारा राज्य स्तरीय सम्मान
१८ – देपालपुर प्रशासन, एसडीएम.द्वारा 15 अगस्त 2018 को सम्मान।
१९ –मालव रत्न अवार्ड,इंदौर
‘धारा’ पत्रिका द्वारा।
२० –श्री गौरीशंकर रामायण मंडल द्वारा सम्मान।
२१ –नगरपरिषद द्वारा सम्मान्
२२ –विवेक विद्यापीठ द्वारा सम्मान
२३ –जनपद शिक्षा केन्द्र द्वारा सम्मान।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻  hindi rakshak manch 👈🏻 … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *