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कहां गए वो दिन

कहां गए वो दिन

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रचयिता : मित्रा शर्मा

दिल की किताब को खोलूं कैसे।
रूह में बसी बचपन की याद को भूलूं कैसे।

गर्मी की छुट्टी का रहता था इंतजार।
प्यारा लगता था पगडंडी वाला मामा का घर।

गिल्ली डंडा ,चोर सिपाही सबसे बड़े खेल होते थे।
मोजे की गेंदों से दिनभर मारपीट में ढेर होते थे।

वह चारपाई या खाट गोदड़ी के बिछोने।
हक जमाते भाई बहनों पर मिट्टी के खिलौने।

पिपरमेंट और हाजमोला खास हुआ करते थे ।
इमली बेर कच्ची केरी के ढेर हुआ करते थे।

कहां आरो और वाटर कूलर मीठा लगता था प्याऊ का पानी ।
कहां टीवी और मोबाइल प्यारे लगते थे नाना नानी

परिचय : मित्रा शर्मा – महू (मूल निवासी नेपाल)

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