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यह रात कब खत्म होगी….??

प्रो. डॉ. दीपमाला गुप्ता
इंदौर (मध्य प्रदेश)
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हर निकलता दिन कोरोनाकाल की निर्ममता को बढ़ाता जा रहा हैं।सभी सुबह का इंतजार कर रहे हैं, लेकिन लोग कह रहे हैं कि पीक आना अभी बाकी है ,अभी आलम यह है तो आगे की तो कल्पना करना भी मुश्किल है, मानवीय भाव और संसाधन खत्म होते जा रहे हैं, इंसानियत, मानवता, हॉस्पिटल, बेड, ऑक्सीजन, इंजेक्शन, दवाइयां, रिश्ते, प्रकृति, ये सब खत्म होते जा रहे हैं। क्या-क्या देखना बाकी है, यह तो नहीं पता लेकिन आसपास के लोग पुराने परिचित रिश्तेदारों को जाते देख मन दिल दिमाग बैठा जा रहा हैं। और ऐसा लगता है जैसे प्रकृति गुस्से में तांडव कर रही है और सभी को अपने कोप का भाजन बना रही है, मुसीबत में आम आदमी सरकार, सिस्टम डॉक्टर और भ्रष्टाचार को जिम्मेदार ठहरा रहा है, लोगों की मन:स्थिति बिगड़ रही है, अपनों के सहारे के समय, अपनों से दूरी बनानी पड़ रही है।
प्रकृति हमेशा लोगों को करीब लाती है, लेकिन इस बार वह चाहती है, उसके अपमान का बदला लेना।

भारत का कोई गांव, कस्बा शहर नहीं बचाहै, जहां यह कोरोना नहीं पहुंचा हो। अब तो ये निडर होकर हर जगह घूम रहा है। और लोग अपने घरों में कैद हैं। अब तो जिंदा रहने की शर्त भी है, कि आप अपने घर में ही रहे। मीडिया सच्चाई दिखा रही है, तो गालियां भी खा रही है, और अब तो उसको अपना बलिदान देकर कीमत भी चुका रही है। अभी अभी साथ मे कार्य करने वाले कई मीडिया कर्मी असमय ही चल बसे।कारण इलाज का अभाव, अगर ऐसे ही चलता रहा तो पत्रकारिता भी ऐसे संकट के दौर में पहुँच जाएगी, जहाँ उसका स्वरूप पूरी तरह बदल चुका होगा। इस समय सबसे बड़ी चुनोती खुद की मन:स्तिथि को स्थिर रखना है। अगर ये स्तिथि लंबे समय तक रही तो हमारे युवाओ को मानसिकता में स्थायित्व लाने में भी समय लगेगा। अब हमें ध्यान देना होगा अपनी मानसिक स्तिथि और परिस्तिथि को सम्भालने में, नही तो कोरोना तो आज नही तो कल चला जायेगा, लेकिन हमें खुद को पाने में सालो लग जाएंगे। ये भी निश्चित हैं की ये दौर आदमी में कुछ बदलाव तो लाएगा, शायद इंसान अधिक उदार और आध्यात्मिक हो जाये या बहुत क्रूर हो जाएगा।

स्तिथि कुछ भी हो, इंसान इस बात को समझ जाएं कि वो दुनिया (प्रकृति) को संचालित नही कर रहा है, बल्कि प्रकृति के संचालन में हम सिर्फ एक साधन मात्र है। खुद को प्रकृति को समर्पित कर दे, निश्चित ही प्रकृति भी अपनी उदारता का पुरस्कार जरूर देगी। और मानव जाति को उपकृत करेगी।

प्रधान सम्पादक
हिन्दी रक्षक डॉट कॉम
प्रो.डॉ. दीपमाला गुप्ता
इंदौर मध्य प्रदेश


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