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उनसे जब टकराई आँखें

नवीन माथुर पंचोली
अमझेरा धार म.प्र.

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उनसे जब टकराई आँखें।
तब कितनी घबराई आँखें।

देखे उनके आँसू थोड़े,
अपनी भी डबराई आँखें।

दुःख के लम्हों में लगती है,
हो जैसे पथराई आँखें।

थाह नहीं मिल पाया इनका,
सागर सी गहराई आँखे।

भीतर कितना हाल छुपाये,
रहती जग बिसराई आँखें।

पाकर सब कुछ खोया उसने,
जिसने ख़ूब चुराई आँखें।

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परिचय :-
नाम – नवीन माथुर पंचोली
निवास – अमझेरा धार मप्र
सम्प्रति – शिक्षक
प्रकाशन – देश की विभिन्न पत्रिकाओं में गजलों का नियमित प्रकाशन।
तीन ग़ज़ल सन्ग्रह प्रकाशित।
सम्मान – साहित्य गुंजन, शब्द प्रवाह।


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