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बच्चों से जब काम न लेकर

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच (मध्य प्रदेश)
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बच्चों से जब काम न लेकर,
हम स्कूल पहुंचाएंगे।
तब विकसित देशों में गिनती,
अपनी करवा पाएंगे।।
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मौलिक अधिकार है शिक्षा का,
बच्चों को मुफ्त पढ़ाती हैं।
सरकारें उत्तरदायी सब,
अपने फर्ज निभाती हैं।
शिक्षित बचपन हो जाए तो,
कल की फिक्र नहीं होती।
अंधकार में जल जाती है,
अपने आप नई ज्योति।।

काबिल होंगे बच्चे तो हर,
बाधा से टकराएंगे।
तब विकसित देशों में गिनती,
अपनी करवा पाएंगे।।
*****
बोझ अगर जिम्मेदारी का,
बचपन में ही डाल दिया।
उड़ने वाले पंखों को ही,
जड़ से अगर निकाल दिया।।

बोझ तले दबकर बच्चों की,
क्षमताएं सो जाएंगी।
बिना हौसले सभी उड़ाने,
लौट धरा पर आएंगी।।

जब निर्भर बने बच्चे सब,
गगन चूमने जाएंगे।
तब विकसित देशों में गिनती,
अपनी करवा पाएंगे।।
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बच्चों के सपने ही तो कल,
की तस्वीर बनाते हैं।
जैसे सपने वैसे ही तो,
फल दामन में आते हैं।।

बच्चे चोर आज गर होंगे,
कल डाकू बन जाएंगे।
अगर निराशा में डूबे तो,
घर कैसे महकाएंगे।।

“अनंत” सपने देखेंगे हम,
तो साकार बनाएंगे।
तब विकसित देशों में गिनती,
अपनी करवा पाएंगे।।
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परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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