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बच्चों से जब काम न लेकर

अख्तर अली शाह “अनन्त”
नीमच

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बच्चों से जब काम न लेकर,
हम स्कूल पहुंचाएंगे।
तब विकसित देशों में गिनती,
अपनी करवा पाएंगे।।

मौलिक अधिकार है शिक्षा का,
बच्चों को मुफ्त पढ़ाती हैं।
उत्तरदायी सरकारें यूँ,
अपना फर्ज निभाती हैं।
शिक्षित बचपन हो जाए बस,
लक्ष्य हमारा अपना है।
सूरज शिक्षा का तम हरले,
देखा हमने सपना है।।
काबिल होंगे बच्चे जब हर,
बाधा से टकराएंगे।
तब विकसित देशों में गिनती,
अपनी करवा पाएंगे।।

बोझ अगर जिम्मेदारी का,
बचपन में ही डाल दिया।
जिनसे उड़ते, पंख उन्हीं को,
जड़ से अगर निकाल दिया।।
बोझ तले दबकर बच्चों की,
क्षमताएं जंग खाएंगी।
बिना हौसले सभी उड़ाने,
बिल्कूल निष्फल जाएंगी।।
जीवन को उत्सव मानेंगे,
जब गुल ये, खिलजाएंगे।
तब विकसित देशों में गिनती,
अपनी करवा पाएंगे।।

बच्चों के सपने ही तो कल,
की तस्वीर बनाते हैं।
जैसे सपने वैसे ही तो,
फल दामन में आते हैं।।
बच्चे चोर आज गर होंगे,
कल डाकू बन जाएंगे।
अगर निराशा में डूबे तो,
घर कैसे मेहकाएंगे।।
“अनंत” सपने देखेंगे जब,
तो साकार बनाएंगे।
तब विकसित देशों में गिनती,
अपनी करवा पाएंगे।।

परिचय :- अख्तर अली शाह “अनन्त”
पिता : कासमशाह
जन्म : ११/०७/१९४७ (ग्यारह जुलाई सन् उन्नीस सौ सैंतालीस)
सम्प्रति : अधिवक्ता
पता : नीमच जिला- नीमच (मध्य प्रदेश)


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