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कुछ देर में जब

होशियार सिंह यादव
महेंद्रगढ़ हरियाणा

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कुछ देर में जब, रावण होगा दहन,
बुराइयां जल जाएंगी, मन हर्षाएंगी,
अगले वर्ष फिर रावण, जब जलाएं,
रावण खत्म न हो, कोई तो बतलाए।

कुछ देर में जब, बम होता विस्फोट,
बे-मौत मर जाते, उनका क्या खोट,
कब तग आतंकवादी, यूं ही सताएंगे,
आतंकवाद को कब तक जला पाएंगे?

कुछ देर में जब, सुनते हैं बलात्कार,
फिर गई एक औरत जिंदगी ही हार,
कब तब ये तमाशा देखते रह जाएंगे,
कोई बताए, बलात्कारी मिट पाएंगे?

कुछ देर में जब, सुनते हुआ शहीद,
एक-एक कब तक शहीद हो जाएंगे,
बैर भाव सीमा पर बढ़ता जा रहा है,
इस बैर भाव को कैसे हम मिटाएंगे?

कुछ देर में जब, सुनते हैं भ्रूण हत्या,
एक लिंग जांच गिरोह, और पकड़ा,
भ्रूण हत्या का पाप कैसे हम हटाएंगे,
देश के दरिंद्रों को कैसे हम मिटाएंगे?

कुछ देर में जब, औरत फांसी खाई,
आखिरकार ऐसी क्या नौबत है आई,
औरत अस्मिता को कैसे हम बचाएंगे,
अत्याचारियों को, कैसे मार गिराएंगे?

कुछ देर में जब, सुनते एक समाचार,
एक औरत करवाती थी, देह व्यापार,
श्रीकृष्ण की भूमि ऐसा हो अत्याचार,
बताओ कैसे मिले नारी आदर सत्कार?

कुछ देर में जब, पकड़ते रिश्वतखोर,
श्रीराम की भूमि, ऐसा पाप करे घोर,
रिश्वत से कब उनके, पेट भर जाएंगे,
कब इनको भारत देश से मिटा पाएंगे?

कुछ देर में जब, कर डाली है हत्या,
वार कर दिया, वो था जब निहत्था,
बेटे ने बाप को ही मारा, समाज हारा,
हत्यारों से कैसे बुजुर्गों को बचाओगे?

कुछ देर में जब, सुनते ठगी का काम,
ठग लिया जन दाम, रगड़ो बग बाम,
चोर और ठग, कैसे पकड़ में लाएंगे,
कोई जवाब दे, कैसे इन्हें मिटा पाएंगे?

कुछ देर में जब, आएगा बड़ा तूफान,
गिर जाएंगे मकान, खत्म हो जन शान,
कैसे जग के जन, सुरक्षित बच पाएंगे,
लाख प्रयास करो फिर कुछ मर जाएंगे?

कुछ देर में जब, जन की हो जाती मौत,
कहते सुना लोगों से, भरा था तन खोट,
सारी धन दौलत पड़ी, मुफ्त में खाएंगे,
बताए, कैसे इस मौत को मात दे पाएंगे?

कुछ देर में जब, सुनते साधु व्याख्यान,
मौत अटल है सुन, जन बहुत हर्षाएंगे,
मान लेंगे उसे जाना था वो चला गया,
बताए, मन पर कैसे कोई काबू पाएंगे?

कुछ देर में जब, मन को यूं बहलाएंगे,
दुनिया जब तक रहेगी, बुराइयां रहेंगी,
बिछुड़े हुये का दर्द दुख फिर भुलाएंगे,
जिंदगी बीताकर जन, यूं ही चले जाएंगे।

कलियुग की विपत्तियां आएंगी वो घोर,
बढ़ते ही जाएंगे, भविष्य का नहीं छोर,
कुछ देर में जब, कहेंगे, जो हो होने दे,
काम सरकार का है, हमें नींद में सोने दे।।

परिचय :- होशियार सिंह यादव
जन्म : कनीना, जिला महेंद्रगढ़, हरियाणा
पिता : स्व. श्री जयनारायण (कवि) एवं गोपालक देहांत १९८९
मां : स्व. मिश्री देवी गृहणि देहांत २०१६
निवासी : महेंद्रगढ़ हरियाणा
शिक्षा : पीएच. डी. (जारी) एम. एससी (बायो एवं आईटी), एम.ए. (हिंदी, अंग्रेजी एवं राजनीति शास्त्र), एमसीए, एम. एड., पीजी डिप्लोमा इन कंप्यूटर, पी जी डिप्लोमा इन जर्नलिज्म एवं मास कम्यूनिकेशन, पी जी डिप्लोमा इन गांधियन स्टडिज, गोल्ड मेडलिस्ट पंजाब वि.वि.।
रचनाएं : अब तक विभिन्न विषयों पर २४ पुस्तकें प्रकाशित। राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय पत्रिकाओं में शोधपत्र प्रकाशित, विभिन्न पत्र एवं पत्रिकाओं में कहानी, लेख, मुक्तक, क्षणिकाएं, प्रेरक प्रसंग, कविताएं प्रकाशित होती रहती हैं।
हरियाणा साहित्य अकादमी से अनुमोदित पुस्तकों में : आवाज, बाल कहानियां, उपयोगी पेड़ पौधे, शिक्षा एक गहना
व्यवसाय : लेखक, पत्रकार एवं शिक्षण कार्य में श्रेष्ठता।
सम्मान : हरियाणा विद्यालय शिक्षा बोर्ड भिवानी द्वारा कहानी लेखन में प्रथम पुरस्कार सहित पांच दर्जन सरकारी एवं गैर सरकारी संस्थाओं द्वारा सम्मानित। महेंद्रगढ़ न्यायाधीश द्वारा रजत पदक से सम्मानित। अरुंधती वशिष्ठ अनुंसधान पीठ द्वारा देशभर से आयोजित निबंध लेखन में एक्सीलेंस अवार्ड। हरियाणा के राज्यपाल से पुरस्कृत। तीन शोध भी प्रकाशित
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि मेरी यह रचना स्वरचित एवं मौलिक है।


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