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क्या थे क्या बना दिया

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संजय जैन
मुंबई

मैं करू क्या अब
जब अपनो ने ही
धोका दे दिया।
क्या जबाब दे
उन लोगो को
जो कर रहे है
मुझ पर व्यंग
की तुम्हारे खास
के होते हुए
ये क्या हो गया।।
.
अब क्या करे
और क्या बोले।
उन लोगो को
जो उतार रहे है।
मेरी और उसकी
समझ नही आ रहा।
और क्या कहे
क्या न कहे ।
जब पाला है सांप
हमने आस्तीन में।
तो कभी न कभी
वो हमे काटेगा ही।।
.
तमन्ना तो बहुत थी
कुछ करके दिखाने की।
पर अब क्या करे
जब तोड़ दिया
दिल अपने ने ।
और डस लिया
अपने ने अपना बन के।।
.
जीवन के अंतिम मोड़ पर
मजाक बनाकर रख दिया।
पूरी जिंदगी की मेहनत का,
क्या मिला फल देख लिया।
कैसे खुद को समझाए
ये सब होने पर,
की मैंने क्या किया ऐसा ?
जिसकी मिली केरियर के,
 अंत मे शर्मनाक सजा।।

.लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।


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