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क्या है ये दुनिया

संजय जैन
मुंबई (महाराष्ट्र)
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ये दुनिया बहुत सुंदर है
मुझे रहना नहीं आया।
ये जिंदगी बहुत खूबसूरत है
मुझे इसे जीना नहीं आया।
दिया क्या कुछ प्रकृति ने
इसे भोगने के लिए।
मगर मेरे मन में तो
कुछ और चल रहा था।
इसलिए छोड़कर राजपाठ
निकल गया मैं वन को।।

बड़े ही भाग्यशाली है
जो इस दुनिया में रहते है।
और खुशी से जीते है
इस खूबसूरत दुनिया को।
भले ही समझे न लोग
मुझे इस दुनिया में।
मगर मुझे तो ये दुनिया
बहुत ही सुंदर लगती है।
इसलिए तन्हा रह कर
मैं जिंदगी को जीता हूँ।।

मुझे तो बस चिंता बहुत है
दुनिया को बनाने वाले की।
जिसने कितनी श्रृध्दा और
मेहनत से इसे बनाया था।
और इसमें पशु-पक्षी के संग
इंसानो को भी बसाया था।
पशु-पक्षी तो स्नेह प्यार से
इसमें रहने लगे।
मगर इंसान ही इंसान को
इसमें समझ न सका।।

सच कहे तो ये दुनिया
बहुत सुंदर है।
इसमें जीना और मरना
हर किसी को मिलता नहीं।
जिसे भी इसमें जन्म मिला
वो बहुत ही भाग्यशाली है।
बस उसे समयानुसार काम
करना आना चाहिए।
तभी वो इस दुनिया को
मौज मस्ती से जी पायेगा।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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