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जिंदगी क्या है….

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संजय जैन
मुंबई

फूल बनकर
मुस्कराना जिन्दगी हैl
मुस्कारे के गम
भूलाना जिन्दगी हैl
मिलकर लोग खुश
होते है तो क्या हुआl
बिना मिले दोस्ती
निभाना भी जिन्दगी हैl।

जिंदगी जिंदा दिलो
की आस होती है।
मुर्दा दिल क्या खाक
जीते है जिंदगी।
मिलना बिछुड़ जाना
तो लगा रहता है ।
जीते जी मिलते
रहना ही जिंदगी है।।

जिंदगी को जब तक
जिये शान से जीये।
अपनी बातो पर
अटल रहकर जीये।
बोलकर मुकर जाने
वाले बहुत मिलते है।
क्योकि जमाना ही आज
कल ऐसे लोगो का है।।

मेहनत से खुद की
पहचान बनाकर,
जीने वाले कम
ही मिलते है ।
प्यार से जिंदगी जीने
वाले भी कम मिलते है।
वर्तमान को जीने वाले
ही जिन्दा दिल होते है।।

प्यार से जो जिंदगी
को जीते है।
गम होते हुए भी
खुशी से जीते है।
ऐसे ही लोगो की
जीने की कला को।
हम लोग जिंदा
दिली कहते है।।

 

लेखक परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ – साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।


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