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जीते हैं, जीतेंगे हम

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रचयिता : रीतु देवी

हमने पीछे पलटकर देखना नहीं,
मुश्किलों से हमें घबराना नहीं,
दृढ अटल होकर बढाना है कदम,
जीते हैं, जीतेंगे हम।
सहना है काँटों की चुभन,
चलना है बिना परवाह किए तपन,
छू लेंगे आसमां, है हममें दम
जीते हैं, जीतेंगे हम।
जब साथ है करोड़ों हाथों का साथ,
न कम होने देंगे आत्मविश्वास हमारे नाथ,
नयी ऊर्जा से लबरेज रहेंगे हरदम,
जीते हैं, जीतेंगे हम।

लेखीका परिचय :-  नाम – रीतु देवी (शिक्षिका) मध्य विद्यालय करजापट्टी, केवटी दरभंगा, बिहार

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