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कोई हमारा न हो सका

शरद जोशी “शलभ”
धार (म.प्र.)

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हमको कभी किसी का सहारा न हो सका।।
दरिया ए इश्क में कई गोते लगा लिए
अपने क़रीब कोई किनारा न हो सका।।

मिलने की कोशिशें भी कई उनसे की मगर
उनकी नज़र का कोई इशारा न हो सका

कितना उनसे प्यार उन्हें कैसे हम कहें
उनसे ज़ियादा कोई प्यारा न हो सका।।

दिल में हमारे हर लम्हा उनका मुक़ाम है
उनसा मुक़ीम कोई दुबारा न हो सका

ग़र नहीं तो ज़िन्दगी जीना मुहाल है।
उनके बिना”शलभ”का गुज़ारा न हो सका।।

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परिचय :- धार (म.प्र.) निवासी शरद जोशी “शलभ” कवि एवंं गीतकार हैं।
विधा- कविता, गीत, ग़ज़ल।
आप विभिन्न साहित्यिक संस्थाओं द्वारा वाणी भूषण, साहित्य सौरभ, साहित्य शिरोमणि, साहित्य गौरव सम्मान से सम्मानित हैं।
म.प्र. लेखक संघ धार, इन्दौर साहित्य सागर इन्दौर, भोज शोध संस्थान धार आजीवन सदस्य हैं। आप सेवानिवृत्त शिक्षक हैं, अखिल भारतीय साहित्य परिषद धार (म.प्र.) के जिला अध्यक्ष हैं व वर्तमान में साहित्य सेवा में निरंतर संलग्न हैं।


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