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हमसब उसके बन्दर हैं

दामोदर विरमाल
महू – इंदौर (मध्यप्रदेश)

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ना जाने कब छुटकारा, मिलेगा इस महामारी से।
स्वास्थ्यकर्मी और वर्दीवाले, हुए ग्रसित बीमारी से।
कोई मर रहा भूख से, तो कोई किसी लाचारी से।
कोई फसा है दूर देश, कोई कैद घर की दिवारी से।
घर बैठे मजदूर उनकी अब, बेरंग दुनियादारी है।
भगा दिया उन सेठों ने, ईनके सर बेरोजगारी है।
क्या पालेंगे बच्चों को, अब क्या ज़िम्मेदारी है।
नही निकलना घर से अब, आदेश ये सरकारी है।
हरपल अब तो लगता है कि जाने की तैयारी है।
ऐसा खौफ लगा है इसका, ये घातक बीमारी है।
फिर भी ईश्वर ठीक करे सब, ये आस्था हमारी है।
कुछ गलतियां हमारी, कुछ गलतियां तुम्हारी है।
दिखलाएगी खेल प्रकृति, अब उन सबकी बारी है।
की जिसने भी जीवहत्या वो हर कलाई हत्यारी है।
युग चौथा व चरण भी चौथा कुछ होने की बारी है।
हम सब उसके बन्दर है, वो ऊपर बैठा मदारी है।

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परिचय :- ३१ वर्षीय दामोदर विरमाल पचोर जिला राजगढ़ के निवासी होकर इंदौर में निवास करते है। मध्यप्रदेश में ख्याति प्राप्त हिंदी साहित्य के कवि स्वर्गीय डॉ. श्री बद्रीप्रसाद जी विरमाल इनके नानाजी थे। हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं आपके द्वारा अभी तक कई कविताये, मुक्तक, एवं ग़ज़ल व गीत लिखे गए है, जो आये दिन अखबारों में प्रकाशित होते रहते है।  गायन के क्षेत्र कराओके गीत गाने में आप खासी रुचि रखते है।


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