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कल के बच्चें हैं हम सब

रेशमा त्रिपाठी 
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश

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सुबह-सुबह उठना हैं पड़ता
हम सब प्यारें बच्चों को
मम्मी-पापा के सपनों का
बोझा ढोंना पड़ता हैं
हम सब प्यारे बच्चों को।

मम्मी कहती हिन्दी पढ़ लो
पापा कहते गणित लगाओं
बाकी घर वाले सब
इंग्लिश के पीछे पड़ जाते हैं
हम सब प्यारें बच्चों के।

बिना भूख के खाना पड़ता
बिना नींद के सोना पड़ता
कपड़ों में यूनिफॉर्म शिवा
हम सब को कुछ न मिलता हैं
हम सब प्यारे बच्चों को।

कभी तो पूछो हम सब से भी
हम सब का सपना क्या हैं?
हम सब को क्या अच्छा लगता हैं?
हर कोई तो कहते हो कि
हम सब आने वाला कल हैं

फिर अपने कल को आप सभी
आज कैंद क्यों करते रहते हो
हम सबको भी थोड़ा सोने दो
हम सबको थोड़ा खेलने दो
बचपन को बचपन रहने दो
हम सब प्यारे बच्चों का।।

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परिचय :- नाम : रेशमा त्रिपाठी 
निवासी :
प्रतापगढ़ उत्तर प्रदेश


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