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रचयिता : श्रीमती मीना गोदरे ‘अवनि’
शहर में पानी के लिए त्राहि-त्राहि हो रही थी सप्ताह में एक दिन नल आते थे लोग मीलों दूर लंबी कतार बनाकर पानी के लिए भागते नजर आते थे। वह बड़े घर की बहू थी नौकर चाकर ठाट बाट सब कुछ था, महलनुमा घर के पिछवाड़े में गहरा कुआं था जिससे पाइपलाइन जोड़कर घर के सभी नलों में पानी आता था उन्हें पानी की कमी कभी न होती किंतु इस बार तो उसके कुएं से भी लोग पानी ले जाने लगे, धीरे धीरे वह भी सूख गया। अब तो पाइप सेभी पानी नहीं चढ़ता उन्हें भी पानी की परेशानी होने लगी किंतु अब तो गजब हो गया जिसे कुएं से पानी खींचना आता था वह नौकर बीमार पड़ गया। तीन दिन बाद हालात ये थे कि घर में केवल दो लोटे पानी बचा था, मालकिन ने दो दिन का निर्जला व्रत रख लिया, क्योंकि बच्चों को पानी बचाना जरूरी था किंतु वह भी खत्म हो गया।
सड़क पर लगे बोरिंग से पानी मंगाया गया वह इतना गंदा था कि सब तरीकों से उसे साफ करने के बाद भी पीने लायक नहीं हो सका। उसमें कुछ गंध सी आ रही थी किंतु प्यास के मारे गले सूख रहे थे तब उनके पति महोदय ने वही पानी पी लिया और बीमार पड़ गए।
उसी हालत में उन्होंने पड़ोस के बच्चों को कुएं के पानी का हवाला देकर डांट दिया, तो झगड़ा हो गया दो दिन से उल्टी और दस्त से पीड़ित उन लोगों ने उन्हें चारों खाने चित गिरा दिया वे सब मिलकर उन्हें पीट रहे थे, कोई छाती पर बैठा कोई उनके दोनों पैर दबाए था दो बच्चे हाथ दवाए एक गर्दन पर बैठा घुसे मार रहा था तभी वहां से मैं गुजरी तो लगभग चीख पड़ी ,,,
‘यह क्या हो रहा है क्या किसी आदमी को मार ही डालोगे ?’ सब छिटक कर भाग गए, मैंने उन्हें उठाया और उनके घर तक लाई तो मालकिन से सारा हाल पता चला।
अपने घर से एक बोतल में जो पानी खुद को बचा रखा था उन्हें दे आई, दूसरे दिन रोड पर बने हैंडपंप से पानी लेने लंबी कतार में जब मैं खड़ी थी तो क्या देखती हूं, मालकिन भी लंबे से घूंघट में पानी का बर्तन हाथ में लिए कतार में खड़ी थीं। उन्हें पहली बार स्थिति में देख, मेरी आंखों में आंसू आ गए, मैंने उनसे वह बर्तन ले लिया और उन्हें घर जाने को कहा, पर वह नहीं मानी बोली – ‘तुम लोग रोज इसी तरह घंटों धूप में एक बाल्टी पानी के लिए कतार लगाए खड़े रहते हो, तुम्हें तो पता है इस वक्त सभी पानी लाने छुट्टी लेकर जाते है मैं भी आज तुम सब की पीड़ा को महसूस करना चाहती हूं समस्या तो मेरी भी है पीछे से खुसर पुसर की आवाज आ रही थी ‘यह कैसे हो सकता है? लगता है पानी की महामारी यहां भी फैल गई है। तभी तो ए.सी में रहने वाली, गाड़ियों में घूमने वाली, ठाकुर साहब की बहू आज यहां चिलचिलाती धूप में हमारे साथ लंबी कतार में ,,,,, विश्वास नहीं हो रहा है …..
लेखिका परिचय :-
नाम – श्रीमती मीना गोदरे ‘अवनि’
शिक्षा – एम.ए.अर्थशास्त्र, डिप्लोमा इन संस्कृत, एन सी सी कैडेट कोर सागर हरिसिंह गौर विश्वविद्यालय
दार्शनिक शिक्षा – जैन दर्शन के प्रथम से चतुर्थ भाग सामान्य एवं जयपुर के उत्तीर्ण छहढाला, रत्नकरंड – श्रावकाचार, मोक्ष शास्त्र की विधिवत परीक्षाएं उत्तीर्ण अन्य शास्त्र अध्ययन
अन्य प्रशिक्षण – फैशन डिजाइनिंग टेक्सटाइल प्रिंटिंग, हैंडीक्राफ्ट ब्यूटीशियन, बेकरी प्रशिक्षण आदि
सामाजिक क्षेत्र – संस्थापिका सद्भावना महिला मंडल
पूर्व अध्यक्ष – १ इनरव्हील क्लब रोटरी २ -सदभावना महिला मंडल सागर ३ – अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला परिषद इसके अलावा उपभोक्ता फोरम रेड क्रॉस सोसोइटी आदि अनेक सामाजिक संस्थाओं की सदस्य
पुरस्कार – सर्वश्रेष्ठ प्रेसीडेंट पुरस्कार इनरव्हील क्लब, सर्वश्रेष्ठ प्रेसीडेंट सद्भावना महिला मंडल पुरुस्कार, सर्वोत्कृष्ट प्रेसिडेंट अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला परिषद, कनाडा से बेस्ट इम्यूनाइजेशन अवार्ड, साक्षरता कार्यक्रम चलाने में सागर में प्रथम आने पर स्थानीय कलेक्टर द्वारा शिक्षा सम्मान प्राप्त हुआ
वर्तमान पद – प्रांतीय सह सचिव, अखिल भारतीय दिगंबर जैन महिला परिषद
आजीवन सदस्य – कुंद कुंद ज्ञानपीठ इंदौर
सदस्य – विश्व मैत्री मंच, साहित्य संस्था भोपाल, इंदौर लेखिका संघ
सह संपादक – अंतर्राष्ट्रीय पञिका – ‘हिंदी सागर ” जे. एम. डी .पब्लिकेशन दिल्ली
साहित्य सृजन – आकाशवाणी सागर छतरपुर से कहानी कविता गीत गजलें निबंध का प्रसारण १८ वर्षों तक, इंदौर आकाशवाणी से कहानी का प्रसारण, यू – ट्यूब पर वीडियो पर गीत का प्रसारण माया क्रिएशन मुंबई द्वारा, भोपाल दूरदर्शन से रचनाओं का प्रसारण,
ई पत्रिकाओं में प्रकाशन – ई कल्पना ब्लॉक पर कहानी, शब्दांकन बेव, ग्लोबल हिंदी, हिंदी रचना संसार, बेवसाइड पर कहानियों का प्रकाशन सृजन सरोकार व हिंदी उन्नयन संस्थान पर निरंतर रचनाओं का प्रकाशन, यश धारा पत्रिका राइजिंग स्टार ओजस्विनी मुक्ता सरिता दर्पणआदि नई दुनियॉ ,दैनिक भास्कर में पाठकों की अदालत में निरंतर टिप्पणियों का प्रकाशन, प्रतिक्रिया ,दैनिक आचरण पेपर में अनेकों रचनाओं का निरंतर प्रकाशन इसके अलावा दिल्ली से प्रकाशित पुस्तको यथा- भारत के श्रेष्ठ कवि एवं कवयित्रियां नारी चेतना की आवाज, श्रेष्ठ काव्य माला, श्रेष्ठ काव्य संग्रह, उन्नीसवीं सदी के श्रेष्ठ कवि एवं कवित्री, प्रेम काव्य संग्रह, साहित्य सागर, साहित्य सरस्वती, संस्कार सागर आदि पुस्तकों में रचनाओं का प्रकाशन
समीक्षाएं पुस्तक – “स्वर्ग का द्वार” (डॉ विनय षडंगी), “मॉ” पुस्तक – (डॉ सरोज गुप्ता)
विरिष्ठ साहित्यकार निर्मल चंद निर्मलचंद जी निर्मल की छै पुस्तकों की समग्र समीक्षा की, तीन पुस्तकों का प्रकाशन- काव्य संग्रह – गुलदस्ता, समुद्र के सीप, गीत संग्रह- आस्था के पुंज्ज
साहित्यक पुरुस्कार – दैनिक भास्कर भोपाल द्वारा दो बार आर्टिकल हेतु पुरस्कृत, स्लोगन प्रतियोगिता में प्रांतीय पुरस्कार, हिंदी के प्रचार प्रसार को बढाने हेतु जे. एम .डी .पब्लकेशन दिल्ली द्वारा, काव्य- श्री सम्मान, नारी गौरव सम्मान, शब्द शिल्पी सम्मान, प्रेम- काव्य सागर सम्मान, विश्व हिंदी रचनाकार मंच द्वारा -हिंदी सागर सम्मान, भिलाई साहित्यपरिषद द्वारा -हिंदी सेवा सम्मान, मातृभाषा उन्नयन संस्थान द्वारा भाषा सारथी सम्मान,श्यामलम कला संस्थान सागर द्वारा पुस्तक प्रकाशन पर सम्मान, तीनो पुस्तकों के प्रकाशन पर जैन महिला परिषद के अलावा अनेकों संस्थाओं द्वारा सम्मानित
प्रकाशनार्थ – दो गजल संग्रह, दो कहानी संग्रह दोहावली कावय संग्रह व निबंध संग्रह तैयार है …
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