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बर्बादी के अफसाने

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अलका जैन
(इंदौर)

अंकित होंगे मेरे लहू से बर्बादी के अफसाने
किसने सोचा था किसने जाना था
डूब जाती है कश्ती भंवर में फंस कर
अपनी कश्ती का भी यही अंजाम होगा
किसने सोचा था किसने जाना था
पतझड़ आयेगी आ कर चली जायेगी
पतझड़ मगर जिंदगी बन जायेगी
किसने सोचा था किसने जाना था
दर्द है समय ले कर कटमिट जायेगा
दर्द मगर लाईलाज निकला हाय हाय
सुना था मेहबूब बेवफा होते हैं कोई कोई
मेरे मेहबूब की आंखों मैं फरेब होगा
किसने सोचा था किसने जाना था
अंकित होगे मेरे लहू से बर्बादी के अफसाने
किसने सोचा था किसने जाना था

परिचय :- इंदौर निवासी अलका जैन की शिक्षा बी.एससी. है, शायरी के लिए आप गोल्डन बुक ऑफ़ वर्ल्ड रिकॉर्ड होल्डर हैं और मालवा रत्न अवार्ड से नवाजी गईं हैं, फर्स्ट वाल पर १००० लोगों ने आपकी रचनाओं को पसंद किया है। आकाशवाणी दूरदर्शन अखबारों मै लेख गजल कहानी गीत प्रकाशित, आप भजन सत्संग व फैशन का शोक नृत्य कला में प्रवीण हैं आपने गैस एजेंसी का संचालन किया है आप वर्तमान मै ग्रहणी हैं।


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