Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

ताना-बाना

प्रियंका पाराशर
भीलवाडा (राजस्थान)
********************

एक-दूसरे पर छींटाकशी छोड़कर
कल जो था वो भूलकर
नहीं रहे मन मसोस कर
संभले आज को जीकर
मन के भाव सँवार कर
तृप्त हो जाए हम प्यार परोसकर
प्यार के एहसासो को चुनकर
संग-संग जिंदगी का ताना बाना बुनकर
जो बिखरा है उसे समेटकर
और कुछ उधडा है तो उसे सीकर
मिलन की आस को पूरा कर
खुशियों के रंग बिखेरकर
एक दूजे की सुनकर
चले समझ कर सँभाल कर
पहले से हो जाए ओर भी बेहतर
दिल का हर जख़्म जाए भर
क्योंकि समय का पहिया चले निरंतर
कितना भी हो जाए अगर मगर
बीच राह मे छोड़, न जाना ठहर
रूह से रूह का आलिंगन कर
जन्मो-जन्मो तक चले संग,
बनकर हमसफर

परिचय :- प्रियंका पाराशर
शिक्षा : एम.एस.सी (सूचना प्रौद्योगिकी)
पिता : राजेन्द्र पाराशर
पति : पंकज पाराशर
निवासी : भीलवाडा (राजस्थान)
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करती हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें …🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु राष्ट्रीय  हिन्दी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉 👉 hindi rakshak manch  👈… राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…🙏🏻

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *