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चाहत

सुधाकर मिश्र “सरस”
किशनगंज महू जिला इंदौर (म.प्र.)

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कहानी गूंजे घर-घर में,
कर गुज़र ऐसा कुछ तू भी
बदल दे ज़ायका सुनने का,
शोरगुल के ज़माने में
दुनिया में है दम घुटता,
ये कैसा छाया अब मंज़र
खरे उतरें ना क्यों हम सब,
इंसानियत के पैमाने में
ओढ़कर चोला रहबर का,
लगे रहबरी ज़ताने में
पाप का घड़ा है जब भरता,
भटकते हैं ज़माने में
सब कुछ पाने की चाहत में,
तनहा हो गई ज़िन्दगी
परेशां होते हैं जब हम,
जवाब ढूंढते हैं मयखाने में
लूटने मज़ा जिंदगी का,
गिर जाते हैं हद से भी
बात जब आती अपने पर,
कहते भूल हुई अंजाने में

परिचय :-  सुधाकर मिश्र “सरस”
निवासी : किशनगंज महू जिला इंदौर (म.प्र.)
शिक्षा : स्नातक
व्यवसाय : नौकरी पीथमपुर
जन्मतिथि : ०२.१०.१९६९
मूल निवासी : रीवा (म.प्र.)
रुचि : साहित्य पठन व सृजन, संगीत श्रवण
उपलब्धि : आकाशवाणी रीवा से कहानियां प्रसारित, दैनिक जागरण रीवा से कहानियां प्रकाशित। वर्तमान में, महू से प्रकाशित साप्ताहिक “प्रिय पाठक” में नियमित रूप से कविताएं व लघुकथाएं प्रकाशित। अन्य साहित्य पटल पर भी सक्रिय।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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