Thursday, November 7राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

प्रेम की प्रतीक्षा

***********

रचयिता : भारती कुमारी

ह्रदय से दूर जो तुम जाते हो तो
ऊँघनें लगती है मधुमय प्रेम प्रिये
बदलती हूँ करवटें नींद की प्रतीक्षा में
तो अंगार-सी बन जाती है मधुर सपनें
उत्सुकता में प्रेम की जान पहचान प्रिये
बेरूखी से हो जाती है प्रेम की पहचान प्रिये
सूना मन , निर्जन पथ , मुरझाई ह्रदय
नश्वर हो रही अब प्रेम की झंकार प्रिये
अधूरी प्रेम अस्तित्व से अनभिज्ञ हो रही
सुनू संगीत प्रेममय कैसे मधुर स्वर में
प्रेममयी ह्रदय करूणा में होकर
अब गहन अधरों में है खो रही
मधुमय सुरभि प्रेममयी भावनाएँ
अदभूत उमड़ी है प्रेममयी ह्रदय में
प्रिये प्रेममयी लहरों में आवेग नहीं
क्षण – क्षण में परिवर्तित ह्रदय हुये
तेरी प्रीत में रंगी जो मधुर मन
बेसुध हुई भूली भटकी संसार प्रिये
.

लेखक परिचय :-  भारती कुमारी
निवासी – मोतिहारी , बिहार


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमें hindirakshak17@gmail.com पर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *