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इंतजार

संजय जैन
मुंबई
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मेरा दिल खाली खाली है
किसी दिल वाली के लिए।
लवो पर जिसके रहता हो
सदा ही संजय संजय।
बना कर रखूँगा उसको
अपने दिल की रानी।
तो आ जाओ मेरे दिलमें
खुला है मेरे दिल का द्वार।।

अभी तक न जाने
कितनो ने पुकारा है।
तभी तो हिचकियाँ मुझे
आ रही है बार बार ।
जो भी हो तुम दिलरुबा
सामने तो आ जाओं।
और झलक अपनी तुम
मुझे जरा दिखा जाओं।।

मेरे दिल की धड़कने
नहीं है अब मेरे बस में।
न जाने कौन है वो जो
इन्हें तेजी से धड़का रहा।
और अपनी धड़कनो को
मेरे दिलसे मिला रहा।
न खुद सो रहा है और
न मुझे सोने दे रहा।।

बीस की उम्र से लेकर
बहुत मुझे वो सता रहा।
पर अपने चेहरे को वो
अभी तक छुपा रहा है।
कसम से पता नहीं मुझको
क्यों वो इतना सता रहा।
शायद कोई पूर्व जन्म का
बंधन हमसे निभा रहा है।
इसलिए मैं भी उसका
इंतजार कर रहा हूँ।।

परिचय :- बीना (मध्यप्रदेश) के निवासी संजय जैन वर्तमान में मुम्बई में कार्यरत हैं। करीब २५ वर्ष से बम्बई में पब्लिक लिमिटेड कंपनी में मैनेजर के पद पर कार्यरत श्री जैन शौक से लेखन में सक्रिय हैं और इनकी रचनाएं राष्ट्रीय हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) सहित बहुत सारे अखबारों-पत्रिकाओं में प्रकाशित होते रहती हैं। ये अपनी लेखनी का जौहर कई मंचों पर भी दिखा चुके हैं। इसी के चलते कई सामाजिक संस्थाओं द्वारा इन्हें सम्मानित किया जा चुका है। आप मुम्बई के नवभारत टाईम्स में ब्लॉग भी लिखने के साथ-साथ मास्टर ऑफ़ कॉमर्स की शैक्षणिक योग्यता रखने वाले संजय जैन कॊ लेख,कविताएं और गीत आदि लिखने का बहुत शौक है, आप लिखने-पढ़ने के ज़रिए सामाजिक गतिविधियों में भी हमेशा सक्रिय रहते हैं।
घोषणा पत्र : मैं यह प्रमाणित करता हूँ कि सर्वाधिकार सुरक्षित मेरी यह रचना, स्वरचित एवं मौलिक है।


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