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इंतजार

डाॅ. अहिल्या तिवारी
रायपुर (छत्तीसगढ़)

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दहलीज़ को इंतजार है किसी अपने का
जो पार कर गया है सदियों पहले,
किसी की आशा किसी की उम्मीद को
किसी की झोली राह तकती है दिन-रात,
और वो दहलीज़ मैं ही तो हूँ।

आंगन को इंतजार है किसी पहुना का
जो आने वाला है खुशियों की गठरी लिए,
सदियों पहले आई थी एक पाती उसकी
चौंरे के तुलसी में पानी चढ़ाते समय
और वो आंगन मैं ही तो हूँ।

खेतों को इंतजार है उस मालिक का
जिसके कंधे पर फसल पकते थे,
खलिहानों के जमीन की सोंधी खुशबू
अब भी मुझसे पूछती उसका पता
वो खेत और खलिहान मैं ही तो हूँ।

चौराहे को इंतजार है उस मुसाफिर का
जो बसा गया था एक गांव जाते-जाते,
उस गांव की धरती फिर से बुलाती हैं
पीपल के छांव तले गुनगुनाने के लिए
सदियों से खड़ी हूँ आंखें बिछाए,
वो चौराहा मैं ही तो हूँ…..।

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परिचय :-  डाॅ. अहिल्या तिवारी
जन्म : २१ अक्टूबर
निवास : रायपुर, छत्तीसगढ़
शिक्षा : एम. ए. (हिन्दी, समाजशास्त्र), पी. एच. डी.
प्रकाशन : दो पुस्तक प्रकाशित, २० शोध पत्र प्रकाशित
संप्रति : पं. रविशंकर शुक्ल विश्वविद्यालय, रायपुरे के अध्यापक शिक्षा संस्थान में सहायक प्राध्यापक

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