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इंतजार

सुरेखा सुनील दत्त शर्मा
बेगम बाग (मेरठ)

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मेरे इश्क के समंदर को फिर बेचैन कर गया कोई,
ठहरे हुए जज्बात में फिर हलचल कर गया कोई,
पत्थर मारा था उठाकर फिर किसी ने समंदर में,
मेरे इश्क के शांत समंदर में फिर हिलोरे दे गया कोई।

मौत को आकर देखो इस हद तक जी गया कोई,
कि जीने से पहले अपने आप को हरसू कर गया कोई,
उदास आंखों में फिर समंदर का सैलाब उमड़ा है ,
मौत से पहले ही लहरों सा आकर समंदर में पैगाम दे गया कोई।

आज आंखों को बेइंतहा इंतजार दे गया कोई,
आंखों से अश्कों को इस कदर बहता छोड़ गया कोई,
क्या समझाऊं दिल को उसके इंतजार की वजह,
दिल में उठते तूफान में फिर कसक जगा गया कोई।

वक्त के पिंजरे को खोल कर सांसो का परिंदा उड़ा गया कोई,
दिल में उठते तूफान को हर पल थाम गया कोई,
सिमट जाती है एक-एक करके ख्वाहिशें सारी दिल में,
जिंदगी की कशमकश से दूर श्मशान में इंतजार कर रहा है कोई।

दर्द बढ़ रहा है इस कदर देखो रूह छलनी कर गया कोई,
सारी दुनिया को गम का तमाशबीन बना गया कोई,
थी जरा सी बात दिल में काश वो समझ गया होता,
मौत आई अपनी रफ्तार से बदनाम करके खुदकुशी कह गया कोई।।

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परिचय :-  सुरेखा “सुनील “दत्त शर्मा
उपनाम : साहित्यिक उपनाम नेहा पंडित
जन्मतिथि : ३१ अगस्त
जन्म स्थान : मथुरा
निवासी : बेगम बाग मेरठ
साहित्य लेखन विधाएं : स्वतंत्र लेखन, कहानी, कविता, शायरी, उपन्यास
प्रकाशित साहित्य : जिनमें कहानी और रचनाएं प्रकाशित हुई है :-
पर्यावरण प्रहरी मेरठ, हिमालिनी नेपाल,हिंदी रक्षक मंच (hindirakshak.com) इंदौर, कवि कुंभ देहरादून, सौरभ मेरठ, काव्य तरंगिणी मुंबई, दैनिक जागरण अखबार, अमर उजाला अखबार, सौराष्ट्र भारत न्यूज़ पेपर मुंबई,  कहानी संग्रह, काव्य संग्रह
सम्मान : हिंदी रक्षक मंच इंदौर (hindirakshak.com) द्वारा हिन्दी रक्षक २०२० राष्ट्रीय सम्मान एवं काव्य भूषण सम्मान मुंबई, वरिष्ठ समाजसेवी सम्मान मेरठ, क्रांति धरा साहित्य रत्न सम्मान, पर्यावरण प्रहरी सम्मान
संप्रति : सचिव ग्रीन केयर सोसायटी, सचिव बीइंग वूमेन मेरठ मंडल


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