Saturday, September 21राष्ट्रीय हिन्दी रक्षक मंच पर आपका स्वागत है... अभी सम्पर्क करें ९८२७३६०३६०

विरहन की पीर

प्रवीण त्रिपाठी
नोएडा

********************

पिया बसे परदेश में, हिय में उपजी पीर।
साजन की नित याद में, नयनन बहता नीर।

राधा सी बन बाँवरी, भटकूँ वन दिन-रैन।
कहीं नहीं मन अब लगे, हृदय न पाये चैन।
अपलक राह निहार कर, थकतीं आंखें रोज।
मुख सीं कर बैठी रहूँ, नहीं निकलते बैन।
चिट्ठी तक आती नहीं, ह्रदय न पावे धीर।
पिया बसे परदेश में, हिय में उपजी पीर।1

जिन राहों से तुम गये, देखूँ नित उस ओर।
भटकूँ बन पागल पथिक, चले न दिल पर जोर।
अंतहीन विरहाग्नि में, झुलस रहीं हूँ नित्य।,
हृदय दग्ध अब हो रहा, पीड़ा मन में घोर।
लहरों को बस गिन रही, बैठी नदिया तीर।
पिया बसे परदेश में, हिय में उपजी पीर।।2
साजन की नित याद में, नयनन बहता नीर।

खटका हो जब द्वार पर, रुक जाती है साँस।
द्वारे पर प्रियतम न हों, चुभती दिल में फाँस।
साँसों की सरगम सधे, यदि लौटे निज गेह।
दरवाजे यदि अन्य हो, लगती मन को डाँस।
वापस अब आओ पिया, व्याकुल हृदय शरीर।
पिया बसे परदेश में, हिय में उपजी पीर।3

वापस आयेंगे सजन, मिट जायेगी पीर।
बालम के सानिध्य में, नहीं बहेगा नीर।

.

परिचय : प्रवीण त्रिपाठी नोएडा


आप भी अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि हिंदी रक्षक मंच पर अपने परिचय एवं फोटो के साथ प्रकाशित करवा सकते हैं, हिंदी रक्षक मंच पर अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, आदि प्रकाशित करवाने हेतु अपनी कविताएं, कहानियां, लेख, हिंदी में टाईप करके हमेंhindirakshak17@gmail.comपर अणु डाक (मेल) कीजिये, अणु डाक करने के बाद हमे हमारे नंबर ९८२७३ ६०३६० पर सूचित अवश्य करें … और अपनी कविताएं, लेख पढ़ें अपने चलभाष पर या गूगल पर www.hindirakshak.com खोजें…🙏🏻

आपको यह रचना अच्छी लगे तो साझा जरुर कीजिये और पढते रहे hindirakshak.com हिंदी रक्षक मंच से जुड़ने व कविताएं, कहानियां, लेख, आदि अपने चलभाष पर प्राप्त करने हेतु हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें 👉🏻hindi rakshak mnch 👈🏻 हिंदी रक्षक मंच की इस लिंक को खोलें और लाइक करें … हिंदी रक्षक मंच का सदस्य बनने हेतु अपने चलभाष पर पहले हमारा चलभाष क्रमांक ९८२७३ ६०३६० सुरक्षित कर लें फिर उस पर अपना नाम और कृपया मुझे जोड़ें लिखकर हमें भेजें…

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *